पृष्ठ:श्रीमद्‌भगवद्‌गीता.pdf/३७३

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.............ANTAWAr'...' ANSARNALISABRDPREVaans IHARTwirvailasexy 2NSawan .MPSC --- शांकरभाष्य अध्याय १५ का असौ पुरुष इति उच्यते- ऋह पुरुष कौन है, तो बतलाते हैं- यतो यस्मात् पुरुषाद् संसारमायावृक्ष- निस पुरुषते, बाजीगरकी मायाके समान इस प्रवृत्तिः प्रसृता निःसृता ऐन्द्रजालिकाद् इव मायारचित संसारवृक्षको सनातन प्रवृत्ति विस्तार- माया पुराणी चिरंतनी॥४॥ को प्राप्त हुई है---प्रकट हुई है। निर्मानमोहा मानः कथंभूताः तत् पदं गच्छन्ति इति उच्यते- उस परमपदको कैसे पुरुष प्राप्त करते हैं ? लो कहते हैं- निर्मानमोहा जितसङ्गदोषा अध्यात्मनित्या विनिवृत्तकामाः । द्वन्द्वैविमुक्ताः सुखदुःखसंज्ञैर्गच्छन्त्यमूढाः पदमव्ययं तत् ॥ ५ ॥ मोहः च मानमोहो जो मान-मोहसे मुक्त हैं-जिनका अभिमान तौ निर्गतौ येभ्यः ते निर्मानमोहा मानमोह- और अज्ञान नष्ट हो गया है, ऐसे जो मान-मोहसे वर्जिताः, जितसङ्गदोषाः सङ्ग एव दोषः सङ्गदोषो रहित हैं, जो जित-सङ्ग-दोष हैं--जिन्होंने आसक्तिरूप दोषको जीत लिया है, जो नित्य जितः सङ्गदोषो यैःते जितसङ्गदोषाः, अध्यात्मविचारमें लगे हुए हैं-सदा परमात्माके नित्याः परमात्मस्वरूपालोचननित्याः तत्परा, स्वरूपकी आलोचना करनेमें तत्पर हैं, जो कामनासे विनिवृत्तकामा विशेषतो निलंपेन निवृत्ताः कामा रहित हैं---जिनकी समन्त कामनाएँ निर्लेपभावसे येषां ते विनिवृत्तकामाः, यतयः संन्यासिनो ( मूलसहित ) निवृत्त हो गयी हैं, ऐसे यति- द्वन्द्वैः प्रियाप्रियादिभिः विमुक्ताः सुखदुःखसंज्ञैः संन्यासी जो कि सुख-दुःख-नामक प्रिय और अप्रिय परित्यक्ता गच्छन्ति अमूढा मोहवर्जिताः पदम् आदि द्वन्द्रोंसे छूटे हुए हैं, वे मोहरहित-ज्ञानी, उस अव्ययं तद् यथोक्तम् ॥५॥ उपर्युक्त अविनाशी पदको पाते हैं ।। ५ अध्यात्म- तद् एव पदं पुनः विशिष्यते- वही पद फिर अन्य विशेषणोंसे बतलाया जाता है- न तद्भासयते सूर्यो न शशाङ्को न पावकः । यद्गत्वा न निवर्तन्ते तद्धाम परमं सम ॥ ६ ॥ तद् धाम इति व्यवहितेन थाम्ना संबन्धः । 'तत्' शब्दका आगेवाले-~~व्यवधानयुक्त धाम' शब्दके साथ सम्बन्ध है। धाम तेजोरूपं पदं न भासयते सूर्य आदित्यः उस तेजोमय धामको यानी परमपदको, सूर्य- आदित्य सवको प्रकाशित करनेकी शक्तिवाला सर्वावभासनशक्तिमत्त्वे अपि सति । तथा न होनेपर भी प्रकाशित नहीं कर सकता । वैसे ही शशांक-चन्द्रमा और पावक-अग्नि भी प्रकाशित शशाङ्कः चन्द्रो न पावकः न अग्निः अपि । नहीं कर सकता।