पृष्ठ:श्रीमद्‌भगवद्‌गीता.pdf/४२८

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श्रीमद्भगवद्गीता यत्तु कामप्सुना कर्म साहंकारेण वा पुनः । क्रियते बहुलाया तद्राजसमुदाहृतम् ॥२४॥ यत् तु कामेप्सुना फलप्रेप्सुना इत्यर्थः कर्म जो कर्म, भोगरूप फलकी इच्छाबाले पुरुषद्वारा ! साहंकारेण वा---- या अहंकारयुक्त पुरुषद्वारा ( किया जाता है)। साहंकारेण इति न तत्त्वज्ञानापेक्षया किं इस श्लोकमें 'साहंकारेण' पद तत्त्वज्ञानको अपेक्षासे नहीं है। तो क्या है ? वेद-शास्त्रको जानने- तर्हि, लौकिकश्रोत्रियनिरहंकारापेक्षया । यो वाले लौकिक निरहंकारीकी अपेक्षासे है, क्योंकि हि परमार्थनिरहंकार आत्मविद् न तस्य । जो वास्तविक निरहंकारी आत्मवेत्ता है, उसमें तो कामेप्सुत्वबहुलायासकर्तृत्वप्राप्तिः अस्ति । फलेच्छुकता और बहुत परिश्रमयुक्त कर्तृत्वकी आशंका ही नहीं हो सकती। सात्त्विकस्य अपि कर्मणः अनात्मवित् सात्त्विक कर्मका भी कर्ता, आत्मतत्वको न साहंकारः कर्ता किम् उत राजसतामसयोः । जाननेवाला अहंकारयुक्त मनुष्य ही होता है, फिर राजस-तामस-कर्मोके कर्ताकी तो बात हो क्या है ? लोके अनात्मविद् अपि श्रोत्रियो निरहंकार संसारमें आत्मतत्त्वको न जाननेवाला भी, वेद- शास्त्रका ज्ञाता पुरुष निरहंकारी कहा जाता है । उच्यते निरहंकारः अयं ब्राह्मण इति । जैसे 'अमुक ब्राह्मण निरहंकारी है। ऐसा प्रयोग तस्मात् तदपेक्षया एव साहंकारेण वा इति । होता है । सुतरां ऐसे पुरुषकी अपेक्षासे ही इस उक्तम् । पुनः शब्दः पादपूरणार्थः । श्लोकमें 'साहंकारेण बा' यह वचन कहा गया है । 'पुनः' शब्द पाद पूर्ण करनेके लिये है। क्रियते बहुलायासं का महता आयासेन तथा जो कर्म बहुत परिश्रमले युक्त है, अर्थात् निर्वयते तत् कर्म राजसम् उदाहृतम् ॥ २४ ॥ करनेवाला जिसको बहुत परिश्रमसे कर पाता है, वह कर्म राजस कहा गया है ॥ २४ ॥ । । अनुबन्धं क्षयं हिंसामनपेक्ष्य च पौरुषम् । मोहादारभ्यते कर्म यत्तत्तामसमुच्यते ॥ २५ ॥ अनुबन्ध पश्चाद् भावि यद् वस्तु सः अनुबन्ध अनुबन्धको-अन्तमें होनेवाला जो परिणाम है उच्यते तं च अनुबन्धम्, क्षयं यस्मिन् कर्मणि उसे अनुबन्ध कहते हैं, उसको, क्षयको-कर्मके क्रियमाणे शक्तिक्षयः अर्थक्षयो वा स्यात् तं करनेमें जो शक्तिका या धनका क्षय होता | उसको, हिंसाको-प्राणियोंकी पीड़ाको और पौरुष- क्षयं हिंसा प्राणिपीडाम् अनपेक्ष्य च पौरुष को–'अमुक कर्मको मैं समाप्त कर सकता पुरुषकारं शक्नोमि इदं कर्म समापयितुम् इति ऐसी अपनी सामर्थ्यको, इस प्रकार अनुबन्धसे लेकर