पृष्ठ:श्रीमद्‌भगवद्‌गीता.pdf/६१

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शांकरभाष्य अध्याय २ किं च न अपि चिकित्सावत् प्रत्यवायो विद्यते। तथा चिकित्सादिकी तरह (इसमें) प्रत्यवाय (विपरीत फल) भी नहीं होता है। किं तु भवति । स्वल्पम् अपि अस्य योग- तो क्या होता है ? इस कर्मयोगरूप धर्मका धर्मस्य अनुष्ठितं त्रायते रक्षति महतः संसार- थोड़ा-सा भी अनुष्ठान (साधन ) जन्म-मरणरूप भयात् जन्ममरणादिलक्षणात् ॥४०॥ महान् संसारभयसे रक्षा किया करता है ॥ ४०॥ कल्याण-मार्गमें 3. या इयं सांख्ये बुद्धिः उक्ता योगे च | जो यह बुद्धि सांख्यके विषयमें कही गयी है और वक्ष्यमाणलक्षणा सा-- | जो योगके विषयमें अब कही जानेवाली है वह- व्यवसायात्मिका बुद्धिरकेह कुरुनन्दन । बहुशाखा ह्यनन्ताश्च बुद्धयोऽव्यवसायिनाम् ॥४१॥ व्यवसायात्मिका निश्चयस्वभावा एका एव बुद्धिः हे कुरुनन्दन ! इस इतरविपरीतबुद्धिशाखाभेदस्य बाधिका सम्य- व्यवसायात्मिका निश्चय स्वभाववाली बुद्धि एक ही क्प्रमाणजनितत्वात् इह श्रेयोमार्गे हे कुरुनन्दन । विपरीत बुद्धियोंके शाखा-भेदोंकी बाधक है । है, यानी यथार्थ प्रमाणजनित होनेके कारण अन्य याः पुनः इतरा बुद्धयो यासां शाखाभेद- जो इतर ( दूसरी) बुद्धियाँ हैं, जिनके शाखा- प्रचारवशात् . अनन्तः - अपारः । अनुयरतः भेदके विस्तारसे संसार अनन्त, अपार और संसारो नित्यप्रततो विस्तीणों भवति, प्रमाण- अनुपरत होता है अर्थात् निरन्तर अत्यन्त विस्तृत जनितविवेकबुद्धिनिमित्तवशात् च उपरतान होता है, उन अनन्त भेदोंवाली बुद्धियोंका, जनित विवेक-बुद्धिके बलसे, अन्त हो जानेपर अनन्तभेदबुद्धिषु संसारः अपि उपरमते । संसारका भी अन्त हो जाता है। ता बुद्धयो बहुशाखा बढ्यः शाखा यासांता परन्तु जो अव्यवसायी हैं, जो प्रमाणाजनित बहुशारखा बहुभेदा इति एतत् । प्रतिशाखाभेदेन विवेक बुद्धिसे रहित है उनकी चे बुद्धियाँ बहुत हि अनन्ताः च बुद्धयः, केषाम् अव्यवसायिनां शाखा अर्थात् बहुत भेदोंवाली और प्रति शाखा- प्रमाणजनितविवेकबुद्धिरहितानाम् इत्यर्थः १४१॥ भेदसे अनन्त होती हैं ॥४१॥ प्रमाण- येषां व्यवसायात्मिका बुद्धिः नास्ति ते- जिनमें निश्चयात्मिका बुद्धि नहीं है वे- यामिमां पुष्पितां वाचं प्रवदन्त्यविपश्चितः । वेदवादरताः पार्थ नान्यदस्तीति वादिनः ॥ ४२ ॥ याम् इमां वक्ष्यमाणां पुष्पितां पुष्पितवृक्ष इस आगे कही जानेवाली, पुष्पित वृक्षों-जैसी इस शोभमानां श्रयमाणरमणीयां वाचं वाक्य- शोभित–सुनने में ही रमणीय जिस वाणीको कहा लक्षणां प्रवदन्ति । करते हैं।