पृष्ठ:संकलन.djvu/१४७

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सोना अवश्य मिलेगा। उस समय इस कम्पनी के १५ रुपये के हिस्से का मूल्य केवल दस आने रह गया था। अधिकांश हिस्सेदार कम्पनी को तोड़ देना चाहते थे। परन्तु मैनेजर के ज़ोर देने पर कुछ मूल-धन और बढ़ाया गया। खोदते खोदते कुछ दिनों बाद एक ऐसा स्थान मिला जहाँ खूब सोना था। बस फिर क्या था ! कम्पनीवाले खुशी से फूल उठे। मैनेजर ने आनन्द-मग्न होकर इस स्थान का नाम रक्खा -- चैम्पियन रीफ़। पन्द्रह रुपये के जिस हिस्से का दाम पहले केवल दस आने था, उसका मूल्य इस समय पूरे दो सौ रुपये है। इस स्थान से जो सोना निकलता है, वह बहुत ही खरा और चमक- दार होता है।

कोलर में जिस जगह सोने की ये खाने हैं, वह जगह बड़ी ही अनुर्वर है। उसे यदि प्रस्तरमय मरु-भूमि कहें तो कुछ अत्युक्ति नहीं। परन्तु आज-कल वहाँ रेलवे, टेलीग्राफ़, टेली- फ़ोन, बिजली की रोशनी, ट्रामवे, होटल, बाजार, दूकानें आदि सभी कुछ हैं। हज़ारों आदमी वहाँ पर नौकरी आदि के द्वारा जीविका चलाते हैं। इस पाँच मील लम्बी और एक मील चौड़ी मरु-भूमि से माइसोर गवर्नमेंट पूरे चौदह लाख रुपये राज-कर स्वरूप प्राप्त करती है। इसके सिवा गोल्ड-फील्ड रेलवे से भी उसे ख़ासी आमदनी होती है।

[ अप्रेल १९१५.
 

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