पृष्ठ:संकलन.djvu/१६

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है। मञ्चूरिया की सीमा कोरिया की सीमा से मिली होने के कारण, रूस भी कोरिया के बहुत निकट है। मञ्चूरिया का रूस के अधीन रहना जापान के लिए किसी प्रकार मंगल-जनक नहीं। परस्पर के इसी नैकट्य ने, और परस्पर की इसी प्रभुत्व- वृद्धि की कामना ने, रूस और जापान को उत्तेजित कर दिया है। युद्ध की मेघ-माला पूर्वी आकाश में, पीत और प्रशान्त सागर के ऊपर, बड़ा ही विकराल रूप धारण करके उमड़ आई है। इस लेख के प्रकाशित होने के पहले ही, रक्तपात रूपी प्रचण्ड धारासार के साथ उसकी भीम गर्जना शायद सुनाई पड़ने लगे।

कोरिया एक बहुत छोटा प्रायद्वीप है। उसका क्षेत्रफल कोई ८०,००० वर्ग मील है। वह पहाड़ी देश है। उसमें कितने, ही छोटे बड़े पहाड़ हैं, नदियाँ भी बहुत सी हैं। वहाँ की पृथ्वी के गर्भ में अनन्त सोना, चाँदी, ताँबा, लोहा और कोयला भरा पड़ा है। एक बंगाली इञ्जिनियर वहाँ गये थे। उन्होंने अमे- रिका में जाकर एक व्याख्यान दिया है। उसमें उन्होंने कहा है कि इस भूमण्डल में और कोई देश ऐसा नहीं जहाँ खनिज द्रव्यों का इतना आधिक्य हो। इसी सम्पत्ति को लूटने की गुप्त इच्छा से रूस और जापान दोनों के मुँह से लार टपक रही है; दोनों लालायित हो रहे हैं।

कोरिया में सब आठ सूबे हैं। उसकी राजधानी सियूल नामक नगर है। च्यमलफू बन्दर से सियूल तक रेल जारी है।