पृष्ठ:संकलन.djvu/१६१

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लिए दुकानें खोलने के लैसंसों की संख्या कम कर दी जाय। दुकानें ऐसी जगह खोली जायँ जहाँ बहुत कम लोगों की पहुँच हो। दुकानों के प्रति दिन खुलने और बन्द होने का समय नियत कर दिया जाय, वे बहुत कम समय तक खुली रहें।

इस पर लार्ड हार्डिञ्ज ने प्रान्तीय गवर्नमेंटों से रिपोर्टैं तलब कीं। यही सब रिपोर्टैं, अन्यान्य आवश्यकीय काग़ज़ों के साथ, अब पुस्तकाकार प्रकाशित हुई है। इस पुस्तक की मुख्य मुख्य बातों का उल्लेख नीचे किया जाता है।

१९०१-०२ में आबकारी के महकमे से गवर्नमेंट को ६ करोड़ १७ लाख रुपये की आमदनी हुई थी। पर १९१०-११ में बढ़ कर वह १० करोड़ ५४ लाख रुपये हो गई। अर्थात् १० वर्षौं के भीतर ही ४ करोड़ ३७ लाख की वृद्धि हुई। गाँजा, चरस और अफ़ीम आदि से जितनी आमदनी हुई, उससे कहीं अधिक शराब से हुई। देखिए—

गाँजा, चरस, अफ़ीम आदि शराब
रुपया रुपया
सन् १९०१-०२ १,६३,४१,४८३ ४,५१,७९,५१८
सन् १९१०-११ २,६२,५२,४८६ ७,८८,०१,७१०

यद्यपि सभी नशीली चीज़ो से अधिक आमदनी हुई, तथापि शराब की आमदनी में बहुत ही अधिक वृद्धि हुई।

गवर्नमेंट का कथन है कि इस बढ़ी हुई आमदनी से यह न समझना चाहिए कि इन चीज़ों का ख़र्च अधिक हुआ। वह कहती है कि नशे की चीज़ों पर अधिक कर का लगाया

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