पृष्ठ:संकलन.djvu/३९

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हुई। उसका घर पुस्तकों और अख़बारों से भरा रहता था। साल में सिर्फ कुछ दिनों के लिए वह अविगनान से लन्दन आता था।

जिस समय मिल की उम्र पचीस वर्ष की थी, उस समय टेलर नामक एक आदमी की स्त्री से उसकी जान-पहचान हुई। धीरे धीरे दोनों में परस्पर स्नेह हो गया। उसकी क्रम-क्रम से वृद्धि होती गई। इस कारण लोग मिल को भला-बुरा भी कहने लगे। उसके पिता को भी यह बात पसन्द न आई। परन्तु प्रेम- प्रवाह में क्या शिक्षा, दीक्षा और उपदेश कहीं ठहर सकते हैं ? बीस वर्ष तक यह स्नेह-सम्बन्ध अथवा मित्र-भाव अखण्डित रहा। इतने में टेलर साहब की मृत्यु हो गई। यह अवसर अच्छा हाथ आया देख ये दोनों प्रेमी विवाह-बन्धन में बँध गये। परन्तु सिर्फ़ सात वर्ष तक मिल साहब को इस स्त्री के समागम का सुख मिला। इसके बाद उसका शरीर छूट गया। इस वियोग का मिल को बेहद रंज हुआ। अविगनान ही में मिल ने उसे दफ़न किया और जो बातें उसे अधिक पसन्द थीं, उन्हीं के करने में उसने अपनी बची हुई उम्र का बहुत सा भाग बिताया। मिल के साथ विवाह होने के पहले ही इस स्त्री के एक कन्या थी। माँ के मरने पर उसने मिल की बहुत सेवा- शुश्रूषा की। उसने मिल को गृह-सम्बन्धी कोई तकलीफ़ नहीं होने दी।

मिल ने अनेक ग्रन्थ लिखे हैं। वह अकसर प्रसिद्ध प्रसिद्ध

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