पृष्ठ:संक्षिप्त रामचंद्रिका.djvu/१४५

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[ तोमर छंद ].
शेशु सौं लसै सँग धाइ । वनमाल ज्यौं सुरराइ ॥
अहिराज सों यहि काल । बहु शीश शोभनि माल ।। २३ ।।
[ स्वागता छद ]
चद्र मद द्युति वासर देखौ । भूमि हीन भुवपाल विशेपौ ।।
मित्र देखि यह शोभत है यो ।राजसाज बिनु सीतहि हो ज्यौं।॥२४॥
[ दो०] पतिनी पति बिनु दीन अति, पति पतिनी बिनु मद ।
चद्र बिना ज्यौं यामिनी, ज्यौं बिन यामिनि चद ॥२५॥

वर्षा-वर्णन

[ स्वागता छद ]
देखि राम बरषा ऋतु आयी । रोम रोम बहुधा दुखदायी ।।
आसपास तम की छबि छायी ।राति दिवस कुछ जानि न जायी२६
मद भद धुनि सो घन गाजै । तूर' तार जनु आवझ बाजै ॥
ठौर ठौर चपला चमकै यौ । इद्रलोक तिय नाचति हैं ज्यौं ॥२७॥

[मोटनक छद ]
सोहै धन श्यामल घोर घनै । मोहै तिनमैं बकपॉति मनै ।
शखावलि पी बहुधा जल सौ ।मानो तिनको उगिलै बल सौं ।।२८॥


(१) तूर = नगाडा