पृष्ठ:संक्षिप्त रामचंद्रिका.djvu/७३

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( २३ ) जनक-[दो०] इहि विधि की चित चातुरी, तिनकों कहा अकत्थ । लोकन की रचना रुचिर, रचिबे कौं समरत्थ ॥१०७॥ [दोधक छद] ये सुत कौन के सोभहिं साजे ? सुदर श्यामल गौर विराजे । जानत हौं जिय सोदर दोऊ। . कै कमला विमला' पति कोऊ ॥१०८ विश्वामित्र- [चौपाई] सुदर श्यामल राम सु जाना । गौर सुलक्ष्मण नाम बखानो ॥' आशिष देहु इन्हें सब कोऊ । सूरज के कुलमडन दोऊ ॥१०९।। दो०] नृपमणि दशरथ नृपति के, प्रगटे चारि कुमार । राम भरत लक्ष्मण ललित, अरु शत्रुघ्न उदार ॥११०॥ [ घनाक्षरी, दि० २०६८ दानिन के शील, परं दान के प्रहारी दिन, . १. दानवारि ज्यों निदान देखिए सुभाय के । दीप दीप हूँ के अवनीपन के अवनीप, पृथु सम । केशोदास दास द्विज गाय के । आनंद के कद सुरपाल से बालक ये, ... परदारप्रियरे साधु, मन वच काय के ।..." देहधर्मधारी पै विदेहराज जू से राज, । , राजत कुमार ऐसे दशरथ राय के ॥१११॥ (१) विमला = सरस्वती । (२) परदार = लक्ष्मी अथवा पृथ्वी।