पृष्ठ:संक्षिप्त रामस्वयंवर.djvu/१७०

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रामस्वयंबर- विशामित्र वशिष्ठ बोलि नहं विनय करी तिन पाहीं॥ गुरु वशिष्ठ अरु गाधिननय नब बिधिवत श्राद्ध कराए। भोजन समय जानि कोशलपति चारिउ कुंवर बुलाए ॥ चारिहु कुँवर सहित भोजन करि बैठे नृप पयंका। राम लपन रिपुड्न भरनहु को बैठायो निज अंका ॥१९ इतनेहो में प्रतीहार तह आसुही खबरि जनायो ! मिथिलाधिपाहार पठायो सुमति सचिव लै प्रायो॥ उठ्यो हरपि देखन कौशलपति सहित कुमार सिधारा। एक एक वस्तुन के लागे पूरन प्रथिन पहारा 18१२॥ ऋद्धि सिद्धि निधि करि पाकरषन जगदीश्वरीसुलीता। पठै दियो सिगरे जनवासे पूरन करन पुनीता। सयन काल गुनि भूप कुमारन निज निज भवन पठाई। महामोद महँ मग्न महीपति सयन किये गृह जाई | . (दोहा). दशरथ इतै प्रभात को नित्यनेम निरवाहि । बैन्यो सभा सुरेस सम वाल्या कुलगुरु काहि ॥१४॥ मार्कंडेयादिक मुनिन लियो तुरंत बुलाइ। विश्वामित्राहि वोलि पुनि बोल्यो कोशलरा ॥६१५॥ ... .... (चौपाई) . तेल चढ़ावन आदिक चारा । करवाई जस होइ पुनि करवार मुनी गोदाना 1 मंगल मंडित वेद विधाना, निनृपबदन परेम अहलादो । विश्वामित्र वशिष्ठमादी।