पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/१०५

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( ६५ ) । भाग्य-भिखारी के भाग्य खुल गए। दर्शन--लोगो को महात्मा के दर्शन हुए। एकवचन से बहुवचन बनाने के नियम १७८---हिंदी में संज्ञाओं के बहुवचन के दो रूप होते हैं--- (१) विभक्ति-रहित** ( २ ) विभक्ति-मुहित ।। । विभक्ति-रहित बहुवचन बनाने के नियय पुल्लिंग लड़का-लड़के घोड़ा-घोड़े कृपड़ा-कपड़े बच्चा-बच्चे लोटा-लेटे रास्ता--रास्ते | ( १ ) हिंदी अकारांत पुल्लिग संज्ञाओं का विभक्तिरहित बहुवचन अंत्य के स्थान में ए करने से बनता है। - अपवाद-(१) साला, भानजा, भतीजा, वेटा, पोता, आदि, आका- रांत संबंध-सूचक संज्ञा को छोड़ शेष आकारांत संबंध-वाचक संज्ञाओं | और उपनाम-वाचक तथा प्रतिष्ठावाचक पुलिंग संज्ञाएँ दोनों वचनों में एक-सी रहती हैं। जैसे, आज्ञा, काका, मामा, लाला, पंडा, सूरमा । (२) बापदादा” संज्ञा बहुवचन दोनों प्रकार का होता है, जैसे, | "बाप दादे जो कर गए हैं, वही करना चाहिए। उनके बाप-दादा |भेड़ की आवाज सुनकर डर जाते थे ।” मुखिया, अगुवा और पुरखा | इसी प्रकार की संज्ञाएँ हैं ।। ( ३ ) संस्कृत की आकारांत पुल्लिग संज्ञाएँ दोनों वचनों में एक- | सी रहती हैं; जैसे, पिता, भ्राता, युवा, देवता, योद्धा, कच।। " (४) आकारांत पुल्लिंग संज्ञाओं को छोड़ शेष पुल्लिग संज्ञाएँ दोनो वचनों में एक-सी रहती हैं, जैसे, ' विद्वान्-विद्वान् चौबे-चौवे

  • *विभक्ति' शब्द का अर्थ चौथे पाठ मे समझाया जायगा ।