पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/१०६

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बालक-चालक रासो-रासो सुनि-मुनि जौ-जौं भाई-भाई कोदों-कोदो साधु-साधु एक विद्वान् आया डाकू -डाकू कई विद्वान् आए । खोलिग चहिज -बहिने गाय-गाएँ भैंस-भैंसे ( १ ) अकारांत स्त्रीलिंग सज्ञाओं का वहुवचन अंत्य स्वर के बदले में करने से बनता है। तिथि--तिथियाँ शक्ति-शक्तियाँ टोपी-टोपिया। रीनि-रीतियाँ लड़की-लड़कियों डाली-डालियाँ १२ } इकारांत और ईकारांत संज्ञाओं में ईको ह्रस्व करके ४६* जोड़ते हैं । बुढिया-बुढ़ियों गुड़िया-गुड़ियाँ । डिबिया-डिवियाँ खटिया-खटियाँ लुटिया-छुटियाँ चिड़िया-चिड़ियाँ ( ३ ) याकारांत (ऊलवाचक) संज्ञा के अंत में केवल अनुनासिक जोड़ा जाता है । | ( ३ ) शेष स्त्रीलिंग शब्दों में अंत्य के परे "एँ जोड़ते हैं; और ऊ को ह्रस्व कर देते हैं । जैसे, लता-लताएँ वस्तु-वस्तुएँ कन्या-कन्याएँ बहू बहुएँ साता-माताएँ लू-लुएं