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१ ११० ) पुरुष-वाचक सर्वनामों की कारक-रचना उत्तम पुग्न हैं? कारक एशचन बहुवचन कच में, मैंने इम, हमने कर्म-संप्रदान मुझको वा मुझे हमको वा इमें करपा,अपादाल मुझसे हमसे संबंध मेरा-रे- हमारा-रे-री । अधिक मुझमें-मुझपर हममें हमपर मध्यम पुरु नू” कवी तुम तुमने कर्म तुझको तुझे तुमको वा तुम्हें करण-अपादान तुझसे तुमसे संबंध तेरा-रे-री तुम्हारा रे-री अधिकरण तुझमें, तुझपर तुममें, तुमपर १११-पुरुषवाचक सर्वनाम के एकचन में कई और संबंध कारक को छोड़ शोप कारकों में मै* * चिलकुल रूप मुझ और नू’ का तुझ” है। संबंध के एकवचन में मैं का विकृत रूप में? और तू?' का 'ते' होता है और बहुवचन में क्रमशः हमारा' और
- तुम्हारा’’ आते हैं । इस कारक की विभक्तियाँ रा-रे-री हैं । शेष फारको
में कोई विकार नहीं होता निश्चयवाचक सर्वनामों की कारक-रचना निकटवत, “यह कारक एकवचन बहुवचन यह इसने, ये इनने, वा इन्होने कर्म-संप्रदान इसको वा इसे इनको वो इन्हें कुची