पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/१३२

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| ( १३२ ) वाच्य क्रिया के उस रूप को कहते हैं जिससे जाना जाता है कि क्रिया के द्वारा करा के विषय में कुछ कहा गया है वा कर्म के विपय में अथवा केवल भाव के विषय में । २११--वाच्य तीन प्रकार के होते हैं---[१] कतृवाच्य [ २ ] कर्मवाच्य [ ३ 1 भाववाच्य । (१) कतृवाच्य क्रिया के उस उप को कहते हैं जिसमे जाना जाता है कि क्रिया का उद्देश्य उमका कर्ता है; जैसे लड़का दौड़ता है। लड़की पुस्तक पढ़ती है। नौकर ने कोठा झाड़ा । (२) क्रिया के उस लय को कर्मवाच्य कहते हैं जिससे जाना जाता है कि क्रिया का उद्देश्य उसका कर्म है, जैसे, कपडा सिया जाता है। चिट्ठी अभी भेजी गई है । मुझसे यह भार ने उठाया जायगा । ( ३ ) क्रिया का वह रूप भाववाच्य कहता है जिससे जाना जाता है कि क्रिया का उद्देश्य उसका कच या कर्म नहीं है, किंतु केवल उसका भाव है; जैसे बैठा जायगा । धूप में चला नहीं जाता । रोगी से अब कुछ उठा बैठा जाता है। नीचे लिखे वाक्यों में क्रियाओं के वाच्य कारण सहित बताओ-- तुम चतुर हो । सोने के सिक्के बनाये जाते हैं । रद्दी कागज पुड़िया बाँधने के काम आता है । एक आदमी ने उस साँप को लकड़ी पर उठा लिया । यह खेल बहुधा गॉवो में खेला जाता है । प्रकाश तथा हवा के लिये झरोखे रखे गये हैं। कई स्थानों में लाहा पाया जाता है ! रस्सी से मस्त हाथी बॉधे जा सकते हैं । उससे चुप नहीं बैठा जाता। जबलपुर के दरीखाने में आजकल कैदी लड़के रखे जाते हैं। उसने खाने-पीने का सामान इकट्ठा किया । धूप के दिनों में मिट्टी को गोड़ते हैं। बिना बोले किसी से रहा नहीं जाता । जाड़े में बाहर कैसे सोया जायगा ? २---ऊपर के वाक्यो में क्रियाओं के वाच्य बदलो ।