पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/१३४

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(२) संभावनार्थ क्रिया से अनुमान, इच्छा, कर्तव्य आदि का बोध । होता है; जैसे, कदाचित् पानी बरसे ( अनुमान ) तुम्हारी जय हो। ( इच्छा ); राजा को उचित है कि प्रजा का पालन करे ( कर्तव्य ) वह आवे तो मै जाऊ ( संभावना } } (३) क्रिया के जिस रूप से आज्ञा, प्रार्थना, उपदेश आदि का बोध होता है उसे आज्ञार्थ कहते हैं, जैसे, तुम जाओ (आज्ञा ), वैठिए ( प्रार्थना ), सदा सत्य बोल ( उपदेश ) ।। ( ४ } जिस क्रिया से विधान में संदेह पाया जाता है उसे संदेहार्थ, कहते हैं; जैसे लड़का आता होगा । नौकर गया होगा । | ( ५ ) संकेतार्थ क्रिया का वह रूप है जिससे कार्य कारण का संबध रखनेवाली दो क्रियाओं की असिद्धिः सूचित होती है; जैसे यदि आप आते तो मैं जाता है जो वह पढ़ता अवश्य सफल होता । इस पाठ क्रिया ॐ क्वाल नौकर चिट्ठी लाता है । नौकर चिट्ठी लाया है। नौकर चिट्ठी लादेगा | २१४-ऊपर वाक्यो में लाना क्रिया भिन्न-भिन्न रूपों में आई हैं-लाता है, लाया, लावेगा । इन रूप से भिन्न भिन्न समय का बाव होता है लाता है। क्रिया से चलते हुए समय का, लाया' से वाते हुए समय का और लावेगा” से आनेवाले समय का अर्थ सूचित होता है। | क्रिया के जिस रूप से समय का बोध होता है उसे व्याकरण में काल कहते हैं।