पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/१३६

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१ १२६ ) ( अं० २५६ ); इसलिये हिंदी में कालो की अवस्था के अनुसार उनके केबल छः भेद माने जाते हैं--( १ ) सामान्य वर्त्तमान (२) पूर्ण वर्तमान ( ३ ) सामान्य भूत (४) अपूर्ण भूत ( ५ ) पूर्ण भूत ( ६ ) सामान्य भविष्यत् ! | ( १ ) सामान्य वर्चसान काल से जाना जाता है कि कार्यका आरभ बालने (लिखने) के समय हुआ है; जैसे, हवा चलती है। लड़का पुस्तक पढ़ता है । चिट्ठी भेजी जाती है। ( २ ) पूर्ण वर्तमान काल से सूचित होता है कि भूतकाल का कार्य वर्तमान काल में समाप्त हुआ है; जैसे, पानी गिरा है ! नौकर आया है। चिट्ठी भेजी गई है। सू०---कोई-कोई लेखक इस काल को आसन्नभूत कहते हैं; क्योकिं - यह भूतकाल की सनीपता सूचित करता है । | ( ३ ) सामान्य भूतकाल की क्रिया से जाना जाता है कि कार्य बोलने ( वा लिखने ) के पहले समाप्त हुआ; जैसे पानी गिरा। नौकर आया | चिठ्ठ भेजी गई ।। (४) अपूर्ण भूतकाल से सूचित होता है कि कार्य भूतकाल में होता रहा; जैसे, गाडी आती थी । चिट्ठी लिखी जाती थी । नौकर कोठा झाड़ता था । ( ५ ) पूर्ण भूतकाल से ज्ञात होता है कि कार्य को भूतकाल से पूण हुए बहुत समय बीत चुका; जैसे, नौकर चिट्टी लाया था। सेना लड़ाई पर भेजी गई थी । थायों ने दक्षिण में प्रवेश किया था । (६ ) सामान्य भविष्यत् काल की क्रिया से जाना जाता है कि कार्य का रंभ होनेवाला है; जैसे, नौकर चिट्टी लाएगा । सेना लड़ाई पर भेजी जायगी । हम पुस्तक पढ़ेंगे । | २१८-सत्र अर्थों और अवस्थाओं के अनुसार कालो के सोलह भेद दत है जिनके नाम और उदाहरण नीचे दिये जाते हैं