पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/१३९

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पुल्लिग ( १२६. ) स्त्री-मै हूँ। |२२०---हिंदी आकारांत विशेषण के समान क्रियाओं में पुल्लिग एकवचय का प्रत्यय आ, पुल्लिग बहुवचन का ए, स्त्रीलिंग एक वचन का ई और स्त्री लिंग बहुवचन का कही हैं और कहीं ई है । जैसे, लिग। एकवचन बहुवचन मै चला हम चले स्त्रीलिंग मै चली। हम चली सू०-आकारांत क्रियाओं में पुरुष के कारण कोई रूपातर नहीं होता; जैसे, मैं गया, तू गया, वह गया। २२२-अकर्मक क्रियाओं के पुरुप, लिंग और वचन झर्चा के पुरुष लिंग और वचन के अनुसार होते हैं। जिस क्रिया के पुरुप-लिंग-वचन चर्चा के पुरुष लिंग-वचन के अनुसार होते हैं उसे कतरि-प्रयोग कहते | हैं । कर्त्तरि-प्रयोग में क्रिया के कक्ष के साथ 'ने' चिह्न नहीं आता। - लड़के ने पुस्तक पढ़ी । लड़की ने फल तोड़ा था। लड़के ने पुस्तके पढी थीं । लड़की ने फल तोडे थे । लड़को ने खेल देखा होगा । लड़कियों ने खेल देखा है । २२२--सकर्मक क्रियाओं के भूतकालिक कृदंत से बने हुए कालो के पुरुष लिंगवचन विभक्ति-रहित कर्म के पुरुष-वचन के अनुसार होते ' है। जिस क्रिया के पुरुष-लिग वचन कर्म के पुरुष लिंग-वचन के | अनुसार होते हैं उसे कर्मणि-प्रयोग कहते हैं। कर्मणि प्रयोग में क्रिया के कर्ता के साथ 'ने' चिह्न आता है, पर कर्म के साथ ‘को' चिह्न नहीं आता। शेष कालो में सकर्मक क्रियाएँ कर्त्तरि प्रयोग में आती हैं। अप०---बकना, बोलना, भूलना, लाना, जनना और समझना सक- मके क्रियाएँ कर्चरि-प्रयोग में आती हैं; जैसे वह कुछ नहीं बोला । हम पुस्तक लाए। आप मेरी बात नहीं समझे । यात्री मार्ग भूला होगा।