पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/१४१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
( १३१ )

मिलना । इस समय नौकर काम पर गया होगा । किसी ने मुझे इसका कारण नहीं बताया है । धन से विद्या श्रेष्ठ है। लड़की ने बहिन को देखा है रोगी ने कल नहाया । कई बुलाए गए, पर थोडे चुने गए। मुझसे अकेला नहीं रहा जाता । स्त्री ने भाई को पत्र भेजा था | लड़का बहुत 'बकः । गाय बछड़ा जनी । पंडित ने अपनी संमति दी थी । पुत्रो ने

  • पिता की आज्ञाओं की पाला है। सिपाहियो ने चोरो को पकड़ा था ।

नौकरानी ने कहा कि मैं काम करूंगी । बारहवाँ पाठ कृदंत १-विकारी पढ़ना लाभकारी है। वह पढ़कर विदा हो गया ।। पढ़ा हुआ मनुष्य आदर पाता है। पञ्जते समय अर्थ पर ध्यान दो । २२४---इन वाक्यों में क्रिया से बने हुए शब्द आए हैं जिनका उपयोग दूसरे शब्द भेदो के समान हुआ है। पहले वाक्य में पढना?” शब्द संज्ञा है, क्योकि उसमें एक कार्य का नाम सूचित होता है । दूसरे वाक्य में पढ़ा हुआ” शब्द विशेषण है, क्योंकि वह मनुष्य' संज्ञा की विशेषता बताता है। तीसरे वाक्य में पढ़कर” शब्द किया-विशेषण के समान आता है, क्योंकि वह “हो गया क्रिया की विशेषता बताता है। चौथे वाक्य में पढ़ते" शब्द विशेषण है, क्योकि उसका अर्थ ‘पढ़ने के संबंध कारक के समान है। क्रिया से बने हुए जो शब्द दूसरे शब्दों के समान उपयोग में आते हैं वे कृदंत कहते हैं । - पढ़ना लाभकारी है। पढने में असावधानी मत करो । हँसना स्वास्थ्य को बढ़ाता है। हँसने से लाभ होता है ।। धीरे चलना अच्छा है। बच्चे को चलना सिखाया जाता है । २२५-ऊपर लिखे वाक्यो में क्रिया से बने शब्दो का उपयोग सशो के समान हुआ है; इसलिए उन्हे क्रियार्थक संज्ञा कहते हैं ।