पृष्ठ:संगीत-परिचय भाग १.djvu/५८

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(६१)
त्वं ही दुर्गादश प्रहरण धारिणी ।
कमल कमला दल हारिणी ।
बाणी विद्या दायिनी ! नमामि त्वाम् ।
नमामि कमलाम् अमलाम् अतुलाम् ।
सुजलाम् सुफलाम् मातरम् ।।वन्दे०
श्यामलाम् सरलाम सुस्मिताम् भूपिताम ।
चरणीम भरणीम् मातरम् ॥ वन्दे०
स्थाई




ग म — रेग
र म — —

ग म पध प
म ल य ज

नी सं — —
म ला म —


प ध नी सं
— — दे —

ग म
वं दे


रे स — —
— — — —

ध नी नी ध
शी — त लाम्

— ͢नी ध प
— मा — त

प ध नी सं
— — दे —

स म म —
सु ज ला म्

— — — —
— — — —

ग म रे ग
र म् — —

— ͢नी ध प
— मा — त

ग प प —
सु फ ला म्

ध नी सं —
श स्य श्या —

रे स ग म
— — व न्दे