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(६१)
- त्वं ही दुर्गादश प्रहरण धारिणी ।
- कमल कमला दल हारिणी ।
- बाणी विद्या दायिनी ! नमामि त्वाम् ।
- नमामि कमलाम् अमलाम् अतुलाम् ।
- सुजलाम् सुफलाम् मातरम् ।।वन्दे०
- त्वं ही दुर्गादश प्रहरण धारिणी ।
- श्यामलाम् सरलाम सुस्मिताम् भूपिताम ।
- चरणीम भरणीम् मातरम् ॥ वन्दे०
- स्थाई
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प ध नी सं |
— ͢नी ध प |