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पृष्ठ:संगीत-परिचय भाग २.djvu/३९

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(४६)

अन्तरा





सं — सं —
नू — पु र

नी॒ रें सं नी॒
सा — — —

ग॒ — रे स
भ — यो प

प — — ध॒
चा — — ल





रें नी॒ सं —
बा — ज त

ध॒ — प —
आ — — ल

रे रे स —
खा — व ज

पध॒ पम ग॒रे स
अ ब मैं —


म — प —
मा — या —

प — प —
नि — न्दा —

सं सं नी॒ सं
भ र म भ

रे रे म म
च ल त कु


ध॒ — नी॒ ध॒
मो ह के —

सं — सं रें
श ब द र

ध॒ प म प
र यो म न

प — ध॒ म
सं — ग त



भजन सूरदास

राग आसावरी

तीन ताल
निसि दिन बरसत नैन हमारे ।
सदा रहत पावस ऋतु हम पर,
जबतें स्याम सिधारे ॥