पृष्ठ:संगीत विशारद.djvu/१९१

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  • संगीत विशारद *

उपरोक्त ७ ताले चतस्रजाति में दी गई हैं। यदि इन्हीं तालों को तिम्रजाति में मानकर लिखें, तो इनका रूप बदल जायगा। क्योंकि चतम्रजाति में लघु को ४ मात्रा का माना गया है और तिस्रजाति मे 'लघु' की मात्रा ३ मानी जाती हैं। उदाहरणार्थ ग्रुपताल को अब तिस्रजाति में इस प्रकार लिखेंगे ध्रुवताल (तिस्रजाति ) मात्रा ११ ४ ५ ६ १ २ X ७ ८ ११ w और इसी मुवताल को खण्डजाति मे लिखना होगा तो, निम्न प्रकार मे लिखेंगे, क्योंकि मण्डजाति में 'लघु' की पॉच मात्रा मानी गई हैं। 9 ध्रुवताल (खण्डजाति ) मात्रा १७ 3 . है १० ११ १२ १३ १४ १५ १६ १७ S ३ x २ मित्रजाति में लघु की मात्रा ७ मानी गई हैं, अत यही ध्रुवताल यदि मिश्रजाति में लिसी जायगी, तो उसका रुप यह होगा ध्रुवताल ( मिश्रजाति ) मात्रा २३ १ २ ३ १० ११ १२ १३ १४ १५ १६ २ १७ १८ १६०० ०१ 03 ४ अब इसी ताल को सकीर्णजाति मे लिखे तो इस ताल की मात्रा न हो जायेंगी, क्योंकि सकीर्णजाति मे गुरु की मात्रा : मानी गई हैं। ध्रुवताल ( सकीर्णजाति ) मात्रा २६ १२ ३ ४ ५ ६ ७ ८६ १० ११ els १२ १३ १४ १५ १६ १७ १८ १९ २० ३ X . २१ २३ २४ २५ २६ २८ २६ कियए--