पृष्ठ:संगीत विशारद.djvu/१९९

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  • सगीत विशारद *

एकमत के अनुमार 'वेला' को मूल रूप में भारतीय यत्र कहा जाता है । इस मत के अनुयाइयों का कहना है कि लकापति रावण ने एक तार वाला एक वाय यन्त्र ईजाद किया, उसे गज मे ही जाया जाता था और उसका नाम "रावण स्त्रम" रग्ना गया । इसके पश्चात् ११ वीं शताब्दी के अन्त मे भारतवर्ष होकर परशिया, अरेविया, तथा स्पेन होता हुआ यह यन्त्र योरोप पहुंचा, यहा पर इसमें परिवर्तन करके, वर्तमान वायोलिन के रूप में हमस पिकास पिया गया। एक पाश्चात्य विद्वान के मतानुमार १०० वर्ष पहिले योरोप में ( Voil) चॉइल नामक एक वाद्य यन्त्र का आविष्कार हुआ, जिमका प्रचार मोलही शतान्दी के उत्तरार्ध तक रहा । बाद में इमी वायल यन्त्र के ढग पर वायोलिन बनाया गया । एक और मतानुसार १५६३ इ० में वेनिम नगर के एक ग्रामीण 'लीनारोली' ने "टेनर वॉयोलिन" का आविष्कार किया था, उसी के आधार पर इटली के २ कलाकारों ने इसमें कुछ और विशेपताऐ सम्मिलित करके इमे नवीन रूप दिया । कोई-कोई इमे जरमनी का आविष्कार भी बताते हैं। इस प्रकार वेला के सम्बन्ध में अनेक धाराणाएं पाई जाती हैं। कुछ भी सही यह तो मानना ही पडेगा कि अपने अाधुनिक रूप में यह पूर्णरूपेण एक विदेशी वाय है। भारत मे इमका प्रचार दिनों दिन बढ़ रहा है और अच्छे वेला-बादक भी अब कर्ट होगये हैं। वेला के विभिन्न भाग वेला के मुग्य ६ भाग होते है (१) बॉडी ( Body )-इमे बेला का शरीर ममझिये, अन्दर से पोला होने के कारण इममें आवाज गूजती रहती है इमे बेली भी कहते हैं। (२) फिंगर बोर्ड ( Finger board) इस पर अंगुलियों की सहायता से स्वर निकाले जाते हैं। (३) टेलपीस ( Tail Piece )-यह भाग है, जिसमे चार मूराख होते हैं, इन चारों सूरासों मे होकर ४ तार ष्टिया तक जाते है। (४) एण्डपिन ( End Pin)-इसमें टेलपीम तात के द्वारा फसा रहता है । (५) ब्रिज ( Bridge)-इसके उपर होकर तार गटियों की ओर जाते हैं। (६) साउन्डपोस्ट ( Sound Post )-यह वेला के अन्दर, ब्रिज के ठीक नीचे लगा रहता है। गज ( Bow ) और उसके भाग वेला जिम छडी मे बजाया जाता है उसे "वो" कहते हैं, इसके ४ भाग होते हैं (१) गज की छडो (Stick) (२) वाल (Har) जो कि इम छडी मे कमे रहते हैं (३) स्ऋ ( Screw ) इस प्रकार का का पेच जिसे उल्टा या सीधा कसने से 'यो' ( गज)