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पृष्ठ:संगीत विशारद.djvu/५९

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A11 direjan 140 नाना नीfbe thodte नाम थाट पद्धति का विकास १५ वी शताब्दी के अन्तिम साल मे रागतरगिणी के लेसक लोचन कवि ने रागों के वर्गीकरण की परम्परागत शैली ग्राम और मूछना का परिमार्जन करके मेल अथवा याट को मामने रक्या । उस समय तक लोचन पनि के लेसानुसार १६०० राग थे जिन्हें गोपिया कृष्ण के मामने गाया करती थीं, किन्तु उनमे मे ३६ राग प्रसिद्धये। उन्होंने इन सब वसेडों को समाप्त करके १२ याट या मेल इस प्रकार कायम किये १-भैरसी --टोडी ३-गौरी ४-कर्नाट ५-केदार ६-मन ७-सारंग - मेघ -वनाश्री १०-पूर्वी ११-मुग्पारी १२-दीपक । लोचन के मेल थाटों को जन्य राग व्यवस्था इस प्रकार है:१-भैरवी-१-भैरवी --नीलाम्बरी। --तोडी -१-तोड़ी। ३-गौरी -१-मालव २-श्री गोरी 3-चैती गौरी ४-पहाडी गौरी ५-देशी तोडी ६-देशिफार ७-गौर-विरण :-मुल्तानी १०-धनाश्री १२-बसत १२-रामकरी १३-गुर्जरी १४-बहली १५-रेवा १६ भटियार १७-पट १८-पचम १६-जयतश्री २०-आसारी ०१-देवगवार ०-संधव्यासावरी २३-गुणफरी। ५-कर्णाट-१-कानर -वेगीश्वरी कानर ३-ग्यम्बावती ४-मोरट ५-परज ६-मारू ७-जैजयती ८ ककुभा :-कामोद १०-कामोदी ११-गौर १०-मालकौशिक १३-हिंडोल १४-सुग्राही १५-अडाणा १६-गौर कानर १७-श्री राग। ५-केदार -१-केदारनाट २-आभीरनाट ३-सम्यावती ४-शाराभरण ५-विहागरा ६-हम्मीर ७-श्याम ८-छायानाट ६-भूपाली १०-भीमपलासमा ११-कौशिक १०-माका ६-इमन -१-इमन २-शुद्वकल्याण ३-पूरिया ५-जयतकल्याण | ७-सारग-१-मारग-पटमजरी ३-वृन्दावनी ४-सामत ५-बड़हमा । --मेय -१-मेघमल्लार -गौडसारण ३-नाट ५-चेलावली ५-अलैया ६-सह ७-देशी सुह-देशाग्य -शुद्ध नाट। ई-वनाश्री-१-बनाश्री ललित । १०-पूर्वी -१-पूर्वी । ११-मुखारी -१-मुसारी।