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- सङ्गीत विशारद *
८५ "औडुव राग" कहते हैं, जैसे-भूपाली मालकोप इत्यादि । ध्यान रहे कि सा स्वर कभी ... भी वर्जित नहीं किया जाता। __() षाड़व राग--किसी थाट में से केवल १ स्वर चर्जित करके जब कोई राग उत्पन्न होता है, अर्थात् जिस राग में ६ स्वर स्तेमाल किये जाते हैं, उसे षाडव राग कहते हैं। जैसे--मारवा, पूरिया इत्यादि । (३) सम्पूर्ण राग-थाट से कोई भी स्वर रचना न घटाकर सातों स्वर जिस राग में लंगते हैं, उसे संपूर्ण जाति का राग कहते हैं। जैसे यमन, बिलावल, भैरव और भैरवी इत्यादि । ऊपर बताई हुई तीन जातियों के रागों के आरोह तथा अवरोह में क्रमशः ५-६ स्वर हैं, लेकिन कुछ राग ऐसे भी है जिनके आरोह में ५ तथा अवरोह में ६ स्वर लगते हैं अथवा आरोह में ७ और अवरोह में ५ स्वर लगते हैं, ऐसे रागों को पहिचानने के लिए ग्रंथकारों ने उपरोक्त ३ जातियों में से हर एक जाति की तीन-तीन उप-जातियां और बनादी हैं, इस प्रकार ६ प्रकार की जातियां बनी। (१) सम्पूर्ण १ सम्पूर्ण सम्पूर्ण ३ सम्पूर्ण औडुव २ सम्पूर्ण षाड़व (२) षाडव १ षाडव सम्पूर्ण ३ पाडव औडुव २ औडुव षाडव (३) औडुव १ औडव सम्पूर्ण २ औडव-पाडव ३ औडुव औडुव इस प्रकार ३ जातियों से ६ उप जातियों की उत्पत्ति हुई, अब इनका पूर्ण विवरण देखियेः-- १--सम्पूर्ण-सम्पूर्ण--जिस राग के आरोह में भी ७ स्वर हों और अवरोह में भी ७ स्वर ___ हों, उसे सम्पूर्ण-सम्पूर्ण जाति का राग कहेंगे। २--सम्पूर्ण-पाडव---जिस राग के आरोह में सात स्वर और अवरोह में ६ स्वर लगते हों, उसे सम्पूर्ण-पाडव जाति का राग कहेंगे। ३--सम्पूर्ण औडव--जिस के आरोह में ७ स्वर और अवरोह में ५ स्वर हो । ४---पाडव सम्पूर्ण---आरोह में ६ स्वर और अवरोह में ७ स्वर ५--षाडव-पाडव--आरोह में भी ६ स्वर हों तथा अवरोह में भी ६ स्वर हों।। ६षाडव-औडव--आरोह में ६ स्वर और अवरोह में पांच स्वर हों। - - - ७-~-औडुव सम्पूर्ण--जिसके आरोह में ५ स्वर और अवरोह में ७ स्वर हों। ८--औडुव पाडव-जिसके आरोह में ५ स्वर और अवरोह में ६ स्वर हों। ६--औडुवऔडुच--जिसके आरोह में भी ५ स्वर हों तथा अवरोह में भी ५ स्वर लगते हो।