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पहला अङ्क

१३

चिड़ियां दूसरी चिड़ियोंका शिकार करती हैं उनके मारनेमें तो कोई पाप नहीं है।

सबल—(असमञ्जसमें पड़कर) मेरी समझमें तो तुम्हें शिकारी चिड़ियोंको भी न मारना चाहिये। चिड़ियों में कर्म अकर्मका ज्ञान नहीं होता। वह जो कुछ करती हैं केवल स्वभाव वश करती हैं, इसलिये वह दण्डकी भागी नहीं हो सकतीं।

अचल—कुत्ता कोई चीज़ चुरा ले जाता है तो क्या जानता नहीं कि मैं बुरा कर रहा हूं। चुपके चुपके, पैर दबाकर, इधर उधर चौकन्नी आंखोंसे ताकता हुआ जाता है, और किसी आदमीकी आहट पाते ही भाग खड़ा होता है। कौवेका भी यही हाल है। इससे तो मालूम होता है कि पशु-पक्षियों को भी भले बुरेका ज्ञान होता है; तो फिर इनको दण्ड क्यों न दिया जाय?

सबल—अगर ऐसा ही हो तो हमें उनको दण्ड देनेका क्या अधिकार है? हालांकि इस विषयमें हम कुछ नहीं कह सकते कि शिकारी चिड़ियों में वह ज्ञान होता है जो कुत्ते या कौवेमें है या नहीं।

अचल—अगर हमें पशु-पक्षी चोरोंको दण्ड देनेका अधिकार नहीं है तो मनुष्यमें चोरोंको क्यों ताड़ना दी जाती है। वह जैसा करेंगे उसका फल आप पायेंगे, हम क्यों उन्हें दण्ड दें?

सबल—(मनमें) लड़का है तो नन्हासा बालक मगर तर्क