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दूसरा दृश्य
(स्थान—शहरकी एक, गली, समय—३ बजे रात, इन्स्पेक्टर
और थानेदारकी चेतनदाससे मुठभेड़।)

इन्स्पेक्टर—महाराज, खूब मिले। मैं तो आपके ही दौलतखानेकी तरफ जा रहा था। लाइये दूधके धुले हुए पूरे एक हजार कमीकी गुञ्जाइश नहीं,बेशीकी हद नहीं।

थानेदार—आपने जमानत न कर ली होती तो उधर भी हजार-पांच सौपर हाथ साफ करता।

चेतनदास—इस वक्त मैं दूसरी फिक्रमें हूं। फिर कभी आना।

इन्स्पेक्टर—जनाव, हम आपके गुलाम नहीं हैं जो बार-बार सलाम करनेको हाजिर हों। आपने आजका वादा किया था। वादा पूरा कीजिये। कील व कालकी जरूरत नहीं।

चेतन—कह दिया मैं इस समय दूसरी चिन्तामें हूँ। फिर इस सम्बन्धमें बातें होंगी।