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तीसरा--चलो देवीजीके चौरेपर चलकर जय जयकार मनाएं।
चौथा--कहाँ है कलधर, कहो ढोल मजीरा लेता चले।
(फत्तू हलधरके घर जाकर खाली हाथ लौट आता है)
पहला किसान--क्या हुआ। खाली हाथ क्यों आये?
फत्तू--हलघर तो आज दो दिनसे घर ही नहीं आया।
दूसरा किसान--उसकी घरवालीसे पूछा, कहीं नातेदारीमें तो नहीं गया?
फत्तू--वह तो कहती है कि कल सवेरे खांचा लेकर आम तोड़ने गये थे। तबसे लौटकर नहीं आये।
सलोनी और फत्तू घरमें जाते हैं)
सलोनी--बेटी, तूने उसे कुछ कहा सुना तो नहीं। उसे बात बहुत लगती है, लड़कपनसे जानती हूँ। गुड़के लिये रोवे, लेकिन मां झमककर गुड़का पिण्डा सामने फेंक दे तो कभी न उठावे। तब वह गोदमें प्यार से बैठाकर गुड़ तोड़-तोड़ खिलाये तभी चुप हो।
फत्तू--यह बिचारी गऊ है, कुछ नहीं कहती-सुनती।
सलोनी--जरूर कोई न कोई बात हुई होगी, नहीं तो घर क्यों न आता। इसने गहनोंके लिये ताना दिया होगा, चाहे