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दूसरा अङ्क
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महीन साड़ी मांगी हो। भले घरकी बेटी है न, इसे महीन साड़ी अच्छी लगती है।
राजे०--काकी, क्या मैं ऐसी निकम्मी हूं कि देशमें जिस बातकी मनाही है वही करूंगी।
(फत्तू बाहर आता है)
मंगरू--मेरे जानमें तो उसे थानेवाले पकड़ ले गये।
फत्तू--ऐसा कुमारगी तो नहीं है कि थानेवालोंकी आंखपर चढ़ जाय।
हरदास--थानेवालोंकी भली कहते हो। राह चलते लोगोंको पकड़ा करते हैं। आम लिये देखा होगा कहा होगा चट थाने पहुंचा आ।
फत्तू--ऐसा दबैल तो नहीं है, लेकिन थाने ही पर जाता तो अबतक लौट आना चाहिये था।
मंगरू--किसीके रुपये पैसे तो नहीं आते थे?
फत्तू-और किसीको तो नहीं, ठाकुर कंचनसिंहके २००) आते हैं।
मंगरू--कहीं उन्होंने गिरफ्तार करा लिया हो।
फत्तू--सम्मन तो आया नहीं, नालिस कब हुई, डिग्री कब हुई। औरोंपर नालिस हुई तो सम्मन आया, पेशी हुई, तुजवीज सुनाई गई।