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पृष्ठ:संत काव्य.pdf/२६६

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मध्ययुग ( पूर्वार्द्ध) बत किमी कोठीवाल गाँव में हुआ था । और सरहिंद में उनकी वर्नमाल है । गुरू नानक ने उनसे अनूनी पूर्ववाली यात्रा में लौटते समय भेंट की थी जब वे 'इत्राहिम' भी कहलाते थे और पाकपत्तन में रहने थे ! इन दोनों संतों की एक दूसरी भेंट भी, इसके अनन्तर हुई थी जब वे गुरु नानक दूसरी बार पकीनन गये हुए थे । उनकी रचनाओं में से , ‘आदिगं' के अंतर्गत, लगभग १३० सलोक एवं ४ पद संहिीत हैं। उनक रूप तथा दृष्टांत बड़े सुंदर उतरे सलोक (साखी) लेजिडु बहुत सरए वर, ल जातों परणाइ ।। भाषण हथी जोलिके, के गलि लगे वाइ 1१। फरीदा जो है मारनि सू कीझां, विना न सारे मि है। आपनडे बरि जाईयेपंस तिहाद चूमि १२। फरीदा जिन लोइ ण ज, मोहिमा, सरे लोण से डि ड6 ३है। कजल रेख न सहदिथा, से पंथी सू इ बहि3, ५३। फरीदा खाजुलु न निदी, खाऊ जेड़ न कोई ।॥ जीवदिन पैरा तरसंझा अपरि होइ ।४। रूबी सूषी षाड़ क, ठंढा पणी पोउ । ॥ फरीदा, देषि पराई चपड़ी, ना तरसाए जौड 1५। फरीदा, वारि परइ वैसणा, साई मुर्क न देहि ॥ के तू एवं रघसो, जीड सरोरहूं लेहि 1६॥ फरीदा काले मंड़ कड़काला मड़ बेस है। तु नही भरिआ में फिररा, लोक कह बरवेसू।७। फरीदा घालक यलक महि, घलक बसे रब माह ॥ मंदा किसनो माधोप, जां तिसुविणु कोई माह ।।८।। फरीदा मैं जानि प्र, दुर्घ मुझ, दुष सबाइ' जरिग ।