पृष्ठ:संत काव्य.pdf/४९३

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४ल ७ संत-काब्य कि जिस समय दिल्ली का सुलतान अहमद शाह आगरे में रहा करता था और इलाहाबाद का सूबा गाजीपुर से आरंभ होता था। उसी समयगाजीपुर जिले के परगना जहूराबाद में, उसकी रचना सं ० १८११ के अंतर्गत किसी समय हुई । उसी परगने के चंदवार नामक एक गांव के किसी तरौनी क्षत्रिय कुल में उनका जन्म भी हुआ था। उनके एक अन्य ग्रंथ ‘गुरु अन्यास' से भी पता चलता है कि उसकी रचना सं० १७९६ में हुई थी जब कि दिल्ली का बादशाह मुहम्मद शाह था। इस प्रकार संत शिव नारायण का जन्म काल, अनुमानत: विक्रम की १८ वीं शती के तृतीय चरण में किसी समय ठंहाया जा सकता है । उधर शिवनारायणी संप्रदाय की एक पुस्तक मूल ग्रंथसे भी प्रकट होता है कि उनका जन्म कार्तिक सृदि ३ वृहस्पतिवार को, आधी रात के समय रोहिणी नक्षत्र में सं० १७७३ में हुआ था । सात वर्ष की अवस्था में उन्हें गुरु दुखहरण ने दीक्षित किया था और सं० १८४८ में वे मरे थे । उनके पिता का नाम बाघराय, उनकी माता का नाम सुन्दरीउनकी स्त्री का नाम सुमति कुंबारि तथा उनके पुत्र एवं पुत्री के भी नाम उसमें क्रशः जैमल और सलीता दिये गए दीख पड़ते , जिनकी पुष्टि अभी तक अन्य आधारों पर भी नहीं हुई हैं । अपने गुरु का नाम उन्होंने स्वयं भी दुखहरण बतलाया है जो उनके अनुयायियों के अनुसार ससना बहादुर (ज ० बलिया) के थे । संत शिव नारायण के चार प्रमुख शिष्यों ने उनके मत का प्रचार पहलेपहल आरंभ किया था और कहा जाता है कि स्वयं उन्होंने वादशाह मुहम्मद शाह तक को प्रभावित कर उससे अपने लिए एक मुहर प्रमाण स्वरूप लेलो थो । शिवनारायणी संप्रदाय का बममां, सीलोन, अदतबिलोचिस्तान आदि देशों तक प्रचलित होना बताया जाता है । संत शिवनारायण की १६ रचनाएं प्रसिद्ध है , किंतु उनमें से संभवतः गुरू अन्यास एवं ‘शब्दावली’ ही अभी तक प्रकाशित