पृष्ठ:सचित्र महाभारत.djvu/१६

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पृष्ठ-संख्या आगमन--भीम और दुर्योधन का अन्तिम युद्ध-दुर्योधन की जंघा का टूटना-बलगम का क्रोध और कृष्ण का उन्हें शान्त करना-कृष्ण और दुर्योधन का संवाद-पाण्डवों को अपने स्थान जाना-दुयोधन के पास कौरव-पक्ष के तीन वीरों का आगमन-दुर्योधन के अन्तिम वाक्य और अश्वत्थामा की उत्तेजना-अश्वत्थामा का सेनापतित्व-- अश्वत्थामा की कपट चाल-पाण्डवों के शिविर में अश्वत्थामा का कर कर्म-उसके वृत्तान्तश्रवण से दुर्योधन का सन्तोष-दुर्योधन की मृत्यु। ७-युद्ध के बाद की बातें २८८ अन्धे राजा धृतराष्ट्र का शोक--धृतराष्ट्र आदि की कुरुक्षेत्र-यात्रा--पाण्डवों से धृतराष्ट्र की भेंट--धृतराष्ट्र और गान्धारी की क्रोध-शान्ति--कुरुक्षेत्र में गान्धारी का विलाप-वीरों का सत्कारकुन्ती के द्वारा कर्ण का यथार्य-परिचय-दान-राज्य भोग करने के विषय में युधिष्ठिर की अनिन्छाभाइयों का अनुरोध--युधिष्ठिर का वैराग्य-सब लोगों का युधिष्ठिर को समझाना--राज्य ग्रहण कग्न के विषय में युधिष्ठिर की स्वीकृति । ८-पाण्डवों का एकाधिपत्य २६६ पाण्डवों का पुर-प्रवेश--राज-सिंहासन पर युधिष्ठिा का दुबारा बैठना-- युधिष्ठिर की गज्य-सञ्चालन-सम्बन्धिनी व्यवस्था--भीष्म के पास पाण्डवों का जाना--भीष्म-कृत उपदंश ---- भीष्म का देह-त्याग--युधिष्ठिर का शोक -अश्वमेध यज्ञ के विषय में सलाह--कृष्ण का लौट जाना-- द्वारका में कृष्ण - कृष्ण-कृत कुरुक्षेत्र युद्ध का मविस्तार वर्णन । ६-अश्वमेध यज्ञ .. ३०४ यज-मामग्री का म्ग्रह--परीक्षित का जन्म और कृष्ण के द्वारा उनकी रक्षा- यज्ञ -सम्बन्धी उद्योग--घोड़ा छोड़ना - अर्जुन और त्रिगतराज -सिन्धु देश में अर्जुन--अर्जुन और बभ्रवाहन--अर्जुन का पतन और उल्लूपी-कृत प्राणदान--पाड़े का लौट आना-~-यज्ञ का आरम्भ-- अश्वमेध यज्ञ की समाप्ति । १०-परिणाम युधिष्ठिर के द्वारा धृतराष्ट्र की सेवा शुश्रूषा--वृतराष्ट्र की वन जाने की इच्छा-धृतराष्ट्र को जाने देने के विषय में युधिष्ठिर की आपत्ति--व्यासदेव के अनुरोध से युधिष्टिर का सम्मति-दान-- प्रजा से धृतराष्ट्र का बिदा होना-प्रजा का सन्ताप-धृतराष्ट्र का वन-गमन-उद्योग-धृतराष्ट्र का हस्तिनापुर से प्रस्थान-कुन्ती का साथ जाना--- धृतराष्ट्र आदि के दर्शनार्थ पाण्डवों का वन-गमनधृतराष्ट्र के आश्रम में पाण्डव-विदुर का देह-त्याग -- पाण्डवों का हस्तिनापुर लौट आना --धृतराष्ट्र आदि का स्वर्ग-लाभ।