पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/११९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१ २६ सत्यप्रकाशा !। हम एक - - -- - -- विद्वान् वेदोक सत्य धर्म अर्थात् पक्षपातरहित होकर सत्य के प्रहण और अ सत्य के परित्याग न्यायरूप वेदोक धमदि आमैं अत् धर्म में चलते हुए के समान धर्म से शिष्यों को शिक्षा किया करे । विक् पुरोहिताचार्नेलुलातिथिसंधितै। बालवृद्धातुर्वेदैतिसम्बन्धिबान्धवैः ॥ १ ॥ मातापितृभ्यां यामीभिषेत्र पुत्रण भार्यया । दुहित्रा दासवर्गीण विवाद न समाचत् ॥ २ ॥ मनु॰ । १७९ में १८० । 1 ( ऋत्वि ) यज्ञ का करनेहारा ( पुरोहित ) सट्ट उचम चाल चलन की शिक्षाकामक ( आचार्य ) विद्या पढ़ानेहारा ( मातुल ) मामा ( अविथि ) जिसकी कोई आने जाने की निश्चिव तिथि न हो (साश्रित ) अपने आश्रित ( बाल ) वालक । ' वृद्ध ) डढ़ा ( आतुर ) पीड़ित ( वैद्य ) आयुर्वेद का बाखा ( झावि ) स्वगोत्र वा ग्ववर्णस्थ (संवन्धी ) श्वगुर आदि ( बान्धव ) मित्र ॥ १ ॥ (माता ) माता (पिता ) पिता ( यामी ) बहिन ( भ्राता ) भाई (भा ) वी ( दुहिसा ) पुत्री और सेव लोगों से विवाद अर्थात् विरुद्ध लड़ाई बखेड़ा कभी न करे ॥ २ ॥ अतपास्त्वनधीयानः प्रतिग्रहरुचिजि. । श्रम्भस्य श्प्लवेनेव सह तेदेव मजति ॥ मनु०४ ११०॥ | एफ (अतपा: ) ब्रह्मचर्य सस्यभाषणादि तपरहित दूसरा ( अनघीयान: ) विना पढ़ा हुआ तीसरा में प्रतिप्रहरुचि ) अत्यन्त धर्मार्थ दूसरों से दृान लेनेवाला ये तीनों पत्थर की नौका से समुद्र में तरने के समान अपने दृष्ट कर्मों के साथ ही दुखसागर में डूबते हैं । वे तो इंचते ही हैं परन्तु पाताओं को साथ डुवा लेते हैः त्रिष्वप्यतेषु द हि विधिनाप्यर्जित धनम् । दातुर्भवत्यनथ्य परम्रादासुरेव च ॥ मनु० a । १६३ ॥ । - जो बम से प्राप्त हुए धन का उक्क तीनों को देना है वह दानदाता का नाश ' इस जम और लेनेवाले का नाश परजन्म में करता है। जो वे ऐसे हों तो क्या हो?