पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/२५२

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कैथनS: । - " २४२ उनमें सृष्टि है नहीं, ( उत्तर ) ये सब भूगल लोक और इनमें सनुयादि बा ' मनुष्यादि प्रजा भी रहती हैं क्योंकि. एतेख हीदए सर्वे व हित१ते हीद & सचे बासयन्ते तद्यादिद& सर्वे बालटते तस्म सब इति।। शतः कां• । , १४ । ० ६ । ब्रा० ७ से ३० ४ । पृथिवी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, चन्द्र, नक्षत्र और सूर्य इनका व नाम इसलिये है कि इन्हीं में सब पदार्थ और प्रजा बसती हैं और ये ही सब को बसाते । हैं जिस सलिये निवास करने के घर हैं इसलिये इनका नाम बसु है जब पृथिवी के समान सूर्य चन्द्र और नक्षत्र बसु पश्चात् उनमें इसी प्र फार प्रजा के होने से क्या सन्देह है और जैसे परमेश्वर का यह छोटासा लोक मनुष्यादि स्मृष्टि से भरा हुआ है। तो क्या य३ सब लोक शून्य होंगे : परमेश्वर का कोई भी काम निप्रयजन नहीं होता तो क्या इतने असंख्य लोगों में मध्यादि स्ष्टि न हो तो सफल कभी हो । सकता है ? इस लेबें सर्वत्र मनुष्यादि सुष्टि है ।( प्रश्न ) जैज से इस देश में मनुष्यादि सृष्टि की आकृति अवयव हैं वैसे ही अन्य लोकों में होंगी वा विपरीत ' ( उत्तर ) ' कुछ २ आकृति में भट्ट होने कम सम्भव है जैसे से इस देश में चीन, हवस आर आर्यावर्च, यूरोप मे अवयव और रह रूप और आकृति का भी थोडा २ भेद उ होता है इसी प्रकार लोक-लोकन्तरों में भी भेद होते हैं परन्तु जिस जाति की जैसी स्मृष्टि इस देश में है वैसी जाति ही की स्मृष्टि अन्य लकों में भी है जिस २ शरीर के प्रदेश में नेत्रादि अग हैं उसी २ प्रदेश में लोक'न्तर में भी उसी जाति के अवयव भी f वैसे ही होते हैं क्योंकि - सूचन्द्र मसो धाता था पूर्वमंकल्पयत्। दिवं च पृथिवीं

न्तitर‘द्ध मां ई' .० ॥ म० १० 1 सू० १६०'

( थाता ) परमात्मा ने जिस प्रकार के सूर्य, चन्द्र, द्यौ, भूमि, अन्तरिक्ष र तत्रस्थ सुच iवेशंघ पदार्थ पूर्व कल्प में रखे थे वैसे ही इस कप अन् इस सृष्टि मे रखे तथा सघ लोक लोकान्तों में भी बनाये हैं भेट किचि मन नहीं होता। (श्) जिन बेटों का इस लोक प्रश है उन्हीं का उन लोको में भी प्रकाश है या नहीं ? (उत्तम ) इन्हीं का है, जै से रा फ रास्ता की राषयवस्था न ति सव देशों में समान होता