पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/२८९

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दशसमुलस २७९ खाना कच्चा खाना है सर्वोत्र ठीक नहीं क्योंकि चर्ष कच्चे भी और न यह भी आदि खाये जाते है ( प्रश्न ) द्विज अपने हाथ से रसोई बना के खाव वा शूद्र के हाथ की बनाई खवे ? (उत्तर ) शद्र के हाथ की बनाई ख7वें, क्योंकि ब्राह्मणक्षत्रिय और वैश्य वर्णस्थ की पुरुष विद्या पढ़ाने, राज्यपालन और पशुपालन खेती व्यापार काम के में तत्पर रहें और रुद्र के पात्र तथा उसके घर का पका हुआ

  • अन्न आपकाल के बिना न खाद्य, सुनों प्रमाण

चायrधtष्ठता वा : सरकतार: स्ः ॥ अपस्तब शूद्रा धर्मसत्र । पाठक २ : पटल २ } खण्ड २ । सूत्र ४ ॥ A आर्मी के घर में शूद्र अथन मूख बी पुरुष पाकादि सेवा करें परन्तु व शरीर वन आयादि से पवित्र रहें आर्षों के घर में जब रसो अब न तब मुख बांध के बनावे क्योकि उनके मुख से उपलछट और निकला हुआ श्वास भी अन्न में न पड़े । छाठवें दिन दर नखच्छेदन करवें स्नान करके पाक व ताया करें ।को खिला के आप खायें। f (प्रश्न ) शद्र के छए हुए पफ अन्न के खया ने मे दोष लगाते हैं तो उस के जब हाथ का बनाया के वे खा सकते हैं ? (उत्तर । यह बात कपोलकल्पित भूठी है क्योंकि जि न्होंने गुड़, चीनी, घृत, दूध, पिशानशTक, फ, मूल खाया उन्होंने जानों सब जगत् भर के हाथ का बनाया और इलिछट ख : लिया क्योंकि जब शूद्र, चार, भंगी, - सल मान, ईसाई आदि लोग खेतों में से ईख को काटते छीते पील कर रस नि कालते धोये से उठाते, हैं तब मलमूत्रोतरी करके उन्हीं बिना हाथों ते, घरते आाधा साठा चूस रस पी आधा दुखी में डाल देते और रस पकाते समय उच्च रस में रोटी भी पकाकर खाते हैं जब चीनी बनाते हैं तब पुराने जूते कि जिसके तले में विटा, मूत्र, गोबर, न लगी रहती हैं उन्हंीं जून से 3 कt रगडत दें दूध में अपने घर के उच्छिष्ट पस्त्रों का जल डालते डसी में घदि रख ने केर आ।ि । पीसते स य भी वैसे ही उच्छिष्ट हाथों से उठाने और पसीना भी आ (टर में टकहा जाता है इव्यादि और फल मूल कद में भी ऐसी ही लीला होती है जब इन पदार्थों को या तो जानों सब के झाथ का खालियां । ( प्रश्न ) फलमूलकेंद्र और रस इत्यादि अत्ट्र में दोष नहीं मानते १ (उत्तर ) वह जी बाह ' सत्य है कि जो ऐसा उत्तर न देते तो क्या धूल राख खाते गुड शबकर मीठी लगती दूथ घी पुष्टि करता है इसीलिये 4 -

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