पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/३०८

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२९८ जयावेry इत्यादि, रजस्वला के साथ समागम करने से जान पुष्कर का स्नान, चाण्डाली | से समागम में काशी की यात्रा, चसrरी से समागम करने से मानो मयारास्नानधोची | की बी के साथ समागम करने में मथुरायात्रा और जरी के साथ लीला करने स मानो अयोध्या तीर्थ कर आाये मद्य का नाम धरा ‘ती' मांस का नाम ‘‘शुद्धि' ' और “पुष्प'मच्छी का नाम ‘तृतीया’ ‘‘जलम्विा' मुद्रा का नाम चतुर्थी और मैथुन का नाम ‘पंचमी इसलिये ऐसे नाम धरे हैं कि जिससे दूसरा न समझ सकें । अपने कौलआद्वीर, शाम्भव और गण आदि नाम रक्खे हैं और जो वाममार्ग ? मत में नहीं हैं उनका ‘कंटक ' है ‘विमुख' शुफ्तपणु आदि नाम धरे हैं और कहते हैं कि जब मैरवीच हो तब उसमें ब्रह्मण से लेकर चांडालपर्यन्त का नाम द्विज होजाता है और जब भैरवीचक्र से अलग हों तव सब अपने २ वर्णस्थ हां जायें। मैरबीच में वाममार्गी लोग भूमि बा पट्टे पर एक विन्दु त्रिकोण चतुष्कोण बर्द्ध- लाकार बनाकर उस पर मद्यध का घड़ा रखके उसक पूजा करते हैं फिर ऐसा सन्न पढ़ते हैं‘ नक्ष शार्प विमोच हे मद्य ! सू ब्रह्मा आदि के नाम से रहित हो, एक गुप्त स्थान में कि जहां सिवाय बाम मागों के दूसरे को नहीं आने देते वहा स्नी और पुरुष इकट्ठे होते हैं वहां एक बी को न३ी कर पूजते और स्त्री छोग किसी पुरुष को नगा कर भूतजी हैं पुन: कोई किसी की बी कोई अपनीवा दूसरे की कन्या कोई किसी की दवा अपनी सोता, भगिनी, पुत्रवधू आदि आती । है पश्चात् एक पत्र में मच भर मांस और बड़े अादि एक स्थाली में घर रखते हैं उस मय के प्याले को जो कि उनका प्राचार्य होता है व६ हथ में लेकर बोलता है कि ‘भैरवs" "शिवोsइम् में व शेिव हूं कहकर भैरव पीजाता है फिर उसी जूठे पात्र से सत्र पीते हैं और ' जब किसी की बी वा वेश्या नहंी कर अथवा किसी पुरुष को नहा कर हाथ में ' - - -

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तलवार दं ड का नाम देवी आर पुरुष का नाम महादव धरत उनके उपस्थ इन्द्रिय की पूजा करते हैं तव उस देवी व शिव को मद्य का प्याला पिलाकर उसी जूठे पत्र से सन लेस एक २ प्याला पते फिर उसी प्रकार क्रम से पी पी के उन्म होकर चहें कोई किसी की वाहन, कन्या वा साता क्यों न हो जिसकी iलस के अच्छा उसके साथ कुकर्म करते २ बहूत के साथ हद हैं क में नशा चढ़न म 3 प्रत, लव, मुफ्ती मुफों, के शाकेश, आपस में लड़ते हैं किसी २ को वहाँ व मम होता है .उनमें जो पहुंचा हुआा अघोरी अर्थात् सत्र में सिख गिना जाता है वह बमन ६६ धोन ो भी खा लेता है यन इन सब से नई सिह ी वे बातें हैं कि :