पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/४७९

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- - द्वादशसमुल्लासः ॥ ४७७ अग्नि की ज्वाला बाहर निकल के बाहर के जीवों को दुःख नहीं पहुंचा सकती वैसे हम मुखपट्टी बांध के वायु को रोक कर बाहर के जीवों को न्यून दुःख पहुंचानेवाले - हैं। मुखपट्टी बांधने से बाहर के वायु के जीवों को पीड़ा नहीं पहुंचती और जैसे सामने अग्नि जलता है उसको आड़ा हाथ देने से कम लगता है और वायु के जीव शरीरवाले होने से उनको पीडा अवश्य पहुचती है । ( उत्तर ).यह तुम्हारी बात छहकपन की है प्रथम तो देखो जहां छिद्र और भीतर के वायु का योग बाहर के वायु के साथ न हो तो वहां अग्नि जल ही नहीं सकता जो इनको प्रत्यक्ष देखना चाहो तो किसी फानूस में दीप जलाकर सब छिद्र बन्द करके देखो तो दीप उसी समय बुझ जायगा जैसे पृथिवी पर रहनेवाले मनुष्यादि प्राणी बाहर के वायु के योग के विना नहीं जा सकते वैसे अग्नि भी नहीं जल सकता, जब एक ओर से अग्नि का वेग रोका जाय तो दूसरी ओर अधिक वेग से निकलेगा और हाथ की आड करने से मुख पर आंच न्यून लगता है परन्तु वह आंच हाथ पर अधिक लग रही है इसलिये तुम्हारी बात ठीक नहीं । ( प्रश्न ) इसको सब कोई जानता है कि जब किसी बड़े मनुष्य से छोटा मनुष्य कान में वा निकट होकर बात कहता है तब मुख पर पल्ला वा हाथ लगाता है इसलिये कि मुख से थूक उड़कर वा दुर्गन्ध उसको न लगे और जब पुस्तक बांचता है तब अवश्य थूक उड़कर उस पर गिरने से उच्छिष्ट होकर वह बिगड़ जाता है इसलिये मुख पर पट्टी का बाधना अच्छा है । ( उचर ) इससे यह सिद्ध हुआ कि जीवरक्षार्थ मुखपट्टी बांधना व्यर्थ है और जब कोई बड़े मनुष्य से बात करता है तब मुख पर हाथ वा पल्ला इसलिये रखता है कि उस गुप्त बात को दूसरा कोई न सुन लेवे क्योंकि जब कोई प्रसिद्ध बात करता हूँ तब कोई भी मख पर हाथ वा पल्ला नहीं धरता, इससे क्या विदित होता है कि गुप्त बात के लिये यह बात है। दन्तधावनादि न करने से तुम्हारे मुखादि अवयवों से अत्यन्त दुर्गन्ध निकलता है और जब तुम किसी के पास वा कोई तुम्हारे पास बैठता होगा तो विना दुर्गन्ध के अन्य क्या अता होगा ? इत्यादि मुस के प्राडा हाथ व पल्ला देने के प्रयोजन अन्य बहुत हैं जैसे बहुत मनुष्यों के सामने गृप्त बात करने में । हाथ वा पल्ला ने लगाया जाये तो दूसरों की ओर याय के फैलने से बात भी ज जाय, जब वे दोनो एकान्त में बात करते ६ त मुन पर ६५ वे पर इसार नहीं लगावे कि या तीसरा कोई नुतनेना न ज ३३ ६ ६ र ५ । । । इथे क्या उट के ऊर भुक रिना चा६ि८ ग्रेर बम [६ से ११ भी न