पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/४८५

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= = = द्वादशसमुल्लासः ।। एक कोशा वेश्या ने थाली में सरसों की ढेरी लगा उसके ऊपर फुल से ढकी हुई सुई खड़ीकर उस पर अच्छे प्रकार नाच किया परन्तु सुई पग में गडने न पाई और सरसों की ढेरी बिखरी नहीं। !!! ) तत्त्वविवेक पृष्ठ २२८-इसी कोशा वेश्या के साथ एक स्थूलमुनि ने १२ वर्ष तक भोग किया और पश्चात् दीक्षा लेकर सद्गति को गया और कोशा वेश्या भी जैनधर्म को पालत हुई सद्गति को गई । विवेक० भा० १ पृष्ठ १८५-एक सिद्ध की कन्था जो गले में पहनी जाती है वह ५०० अशर्फ एक वैश्य को नित्य देती रही। विवेक० भ० १ पृष्ठ २२८-बलवान् पुरुष की आज्ञा, देव की आज्ञा, धोर वन में कष्ट से निर्वाह, गुरु के रोकने, माता, पिता, कुलाचार्य, ज्ञातीय लोग और धर्मोपदेष्टा इन छः के रोकने से धर्म में न्यूनता होने से धर्म की हानि नहीं होती । ( समीक्षक ) अब देखिये इनकी मिथ्या बाते ! एक मनुष्य ग्राम के बराबर पाषाण की शिला को अंगुली पर कभी धर सकता है ? और पृथ्वी के ऊपर से अंगूठे दाबने से पृथिवी कभी दब सकती है ? और जव शेषनाग ही नहीं तो कंपेगा कौन ? ।। भला शरीर के काटने से दूध निकलना किसी ने नहीं देखा, सिवाय इन्द्रजाल के दूसरी बात नहीं, उसको काटनेवाला सर्प तो स्वर्ग में गया और महात्मा श्रीकृष्ण आदि तीसरे नरक को गये यह कितनी मिथ्या बात है ? ।। जब महावीर के पग पर खीर पकाई तब उसके पग जल क्यों न गये ? | भला छोटे से पात्र में कभी ऊंट सकता है ? ॥ जो शरीर का मैल नहीं उतारते और न खुजलाते होंगे वे दुर्गन्धरूप महानरक भोगते होंगे । जिसे साधु ने नगर जलाया उसकी दुया और क्षमा कहां गई ? जव महावीर के संग से भी उम्रका पवित्र आत्मा न हुआ तो अब महावीर के मरे पीछे उसके अश्रय से जैन लोग कभी पवित्र न होंगे । राजा की आज्ञा माननी चाहिये परन्तु जैन लोग अनिये हैं इसलिये राजा से डरकर यह बात लिखी होगी । कोशा वेश्या चाहे उसका शरीर कितना ही हलका हो तो भी सरसों की देरी पर सुई खड़ी कर उसके ऊपर नाचना, सुई कर न छिदना और सरसों का न बिखरना अतीव लूट नई त क्या है ? ॥ धर्म किसी को किसी अवस्था में भी न छोडना चाहिये चा फुछ भी ईजाय ? ।। भला कंथा वस्त्र का होता है वह नित्यप्रति ५०० अशफ किस प्रकार दे सकता है ? अन ऐसी २ असभव कहानी इनकी गिरे त नि । के थाने पोथों के सदश बहुत चढजाय इसलिये अधिक नई नियत ‘ग्नान् ५६ इन . निर्यों की बातें छड़ के शेप सी मिथ्या जाल भर ६३५.--