पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/४९९

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| १९७ अयोदशयमुखाचः ॥ तो विना अपराध उसको पाप क्यों बनाया ? और सच पूछो तो वह सर्प नहीं था किन्तु मनुष्य था क्योंकि जो मनुष्य न होता तो मनुष्य की भाषा क्योंकर बोल सकता है और जो आप झूठा और दूसरे को झूठ में चलावे ऊसको शैतान कहना चाहिये सो यहां शैतान सत्यवादी और इससे उसने उस सी को नहीं बहाया किन्तु सच कहा और ईश्वर ने आदम और हव्वा से झूठ कहा कि इसके खाने से तुम मर जाओगे जब वह पेड़ ज्ञानदाता और अमर करनेवाला था तो उसके फल खाने से क्यों बज और जो बजा तो वह ईश्वर झूठा और बहकाने वाला ठहरा। क्योंकि उस वृक्ष के फल मनुष्यों को ज्ञान और सुखकारक थे अज्ञान और मृत्युकारक नहीं, जब ईश्वर ने कल । खाने से बज तो उस वृक्ष की उत्पत्ति किसलिये की थी ? जो अपने लिये की तो । क्या आप अज्ञानी और मृत्यु धर्मवाला था है और जो दूसरों के लिये बनाया तो झल खाने में अपराध कुछ भी न हुअा और आजकल कोई भी वृक्ष झनकारक और मृत्युनिवारक देखने में नहीं आता, क्या ईश्वर ने उसका बीज भी नष्ट कर दिया ? ऐसी बातों से मनुष्य छल कपटी होता है तो ईश्वर वैसा क्यों नहीं हुआ है क्योंकि जो कोई दूसरे से छल कपट करेगा वह छली कपटी क्यों न होगा ? और जो इन तीनों को शाप दिया वह विना अपराध से है पुनः वह ईश्वर अन्यायकारी भी हुआ और यह शाप ईश्वर को होना चाहिये क्योंकि वह झूठ बोला और उनको बहकाया यह **फिलासफी' देखोक्या विना पीड़ा के गर्भधारण और बालक का जन्म हो सकता 1 था ? और विना श्रम के कोई अपनी जीविका कर सकता है ? क्या प्रथम कांदे आदि | के वृक्ष न थे ? और जव शाक पात खाना सब मनुष्य को ईश्वर के कहने से उचित हुआ तो जो उत्तर में मांस खाना बाइबल में लिखा वह झूठा क्यों नहीं ? और जो वह सच्चा हो तो यह झूठा है जब आदम का कुछ भी अपराध सिद्ध नहीं होता तो ईसाई लोग सब मनुष्यों को आम के अपराध से सन्तान होने पर अपराधी क्यों । कहते हैं? भला ऐसा पुस्तक और ऐसा ईश्वर कभी बुद्धिमानों के सामने योग्य हो सकता है? ॥ ७ ॥ -- - --- - - - ८-और परमेश्वर ईश्वर ने कहा कि देखो ! आदम भले बुरे के जानने में हम ! में से एक की नाईं हुआ और अब ऐसा न होवे कि वह अपना हाथ डाले और | जीवन के पेड़में से भी लेकर खावे और अमर होजाय सो उसने दम को निकाल दिया और अदन की बारी की पूर्व और करोयम चमकते हुए सटग