पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५०१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

। त्रयोदशसमुल्लासः ।। समीक्षक-क्या ईश्वर काइन से विना पूछे हाबिल का हाल नहीं जानता था और | लोहू का शब्द भूमि से कभी किसी को पुकार सकता है ? ये सव बातें अविद्वानों की | हैं इसीलिये यह पुस्तक न ईश्वर और न विद्वान् का बनाया हो सकता है ॥१०॥ । ११और हनूक मतूसिलह की उत्पत्ति के पीछे तीन सौ वर्षलों ईश्वर के साथ । साथ चलता था |॥ तौ० पर्वं ५ । अ० २२ ॥ समीक-भला ईसाइयों का ईश्वर मनुष्य न होता तो हनक उसके साथ २ | क्यों चलता ! इससे जो वेदोक्त निराकार ईश्वर हैं उसी को ईसाई लोग मानें तो | सनका कल्याण होवे ॥ ११ ।। १२-और उनसे बेटियां उत्पन्न हुई। तो ईश्वर के पुत्रों ने आदम की पुत्रियों को देखा कि वे सुन्दरी हैं और उनमें से जिन्हें उन्होंने चाहा उन्हें व्याहा || और चन दिनों में पृथिवी पर दानव थे और उसके पीछे भी जब ईश्वर के पुत्र आदम की पुत्रियों से मिले तो उनसे बालक उत्पन्न हुए जो बलवान् हुए जो आगे से नामी थे। और ईश्वर ने देखा कि आदम की दुष्टता पृथिवी पर बहुत हुई और उनके मन की चिन्ता और भावना प्रतिदिन केवल बुरी होती है ।। तब आदमी को पृथिवी | पर उत्पन्न करने से परमेश्वर पछताया और उसे अतिशोक हु’r || तब परमेश्वर ने कहा कि आदमी को जिसे मैंने उत्पन्न किया आदमी से ले के पशुनल और रेगवैयों को और आकाश के पक्षियों को पृथिवी पर से नष्ट करूंगा क्योंकि उन्हें बनाने | से मैं पछताता हूं ॥ तौ० पर्व ६ । अ० १ । २ । ४ । ५ । ६ । ७ ।। समीक्षक-—ईसाइयों से पूछना चाहिये कि ईश्वर के बेटे कौन हैं! और ईश्वर की स्त्री, सास, श्वसुर, साला और सम्बन्धी कौन हैं क्योंकि अब तो आदमी की बे| टियों के साथ विवाह होने से ईश्वर इनका सम्बन्धी हुआ और जो उनसे उत्पन्न होते हैं वे पुत्र और प्रपौत्र हुए क्या ऐसी बात ईश्वर और ईश्वर के पुस्तक की हो सकती है ? किन्तु यह सिद्ध होता है कि उन जङ्गली मनुष्यों ने यह पुस्तक बनाया है, वह ईश्वर ही नहीं जो सर्वज्ञ न हो न भविष्यत् की बात जावे वह जीव है क्या जब सृष्टि की थी तब आगे मनुष्य दुष्ट होंगे ऐसा नहीं जानता था ? और पछताना अति शोकादि होना भूल से काम करके पीछे पश्चात्ताप करना आदि ई साइयों के ईश्वर में घट सकता है कि ईसाइयों का ईश्वर पूर्ण विद्वान् योगी भी । नहीं था नहीं तो शान्ति और विज्ञान से अतिशोकादि से पृथक् हो सकता था । भला