पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५०३

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६ , । त्रयोदशसमुल्लास: ।। ५०१ । . कभी पछताता है, कभी कहता है स्राप न दूंगा, पहिले दिया था और फिर भी । देगा प्रथम वर्ष को मारडाला और अव कहता है कि कभी न मारूंगा !!! ये बातें सब लड़कों की सी हैं ईश्वर की नहीं और न किसी विद्वान् की क्योंकि वि-' द्वान् की भी बात और प्रतिज्ञा स्थिर होती है ॥ १४ ॥ १५-और ईश्वर ने नूह को और उसके बेटों को आशीष दिया और उन्हें कहा ॥ कि हरएक जीता चलता जन्तु तुम्हारे भोजन के लिये होगा मैंने इरी तरकारी के समान सारी वस्तु तुम्हें दीं केवल मांस उसके जीव अर्थात् उसके कोहू समेत मत खाना || तौ० पर्व ९ । • १ । ३ । ४ ॥ समीक्षक-क्या एक को प्राणकष्ट देकर दूसरों को आनन्द कराने से दयाहीन । ' ईसाइयों का ईश्वर नहीं है ? जो माता पिता एक लड़के को मरवाकर दूसरे को खिलायें तो महापापी नहीं हों ? इस प्रकार यह बात हैं क्योंकि ईश्वर के लिये सव प्राणी पुत्रवत् हैं ऐसा न होने से इनका ईश्वर कसाईंवत् काम करता है और सव मनुष्यों को हिंसक भी इसी ने बनाया है इसलिये ईसाइयों का ईश्वर निर्दय होने से पापी क्यों नहीं ? ॥ १५ ॥ | १६-और सारी पृथिवी पर एक ही बोली और एक ही भाषा थी || फिर । उन्होंने कहा कि आओ हम एक नगर और एक गुम्मट जिसकी चोटी स्वर्गलों पहुंचे अपने लिये बनावें और अपना नाम करे न हो कि हम सारी पृथिवी पर छिन्न भिम होजायें ।। तब ईश्वर उस नगर और उस गुम्मट के जिसे आम के सन्तान बनाते थे देखने को उतरा। तब परमेश्वर ने कहा कि देखो ये लोग एक ही हैं और ' उन सब की एक ही बोली है अब वे ऐसा २ कुछ करने लगे सो वे जिस पर मन । लगावेंगे उससे अलग न किये जायेंगे। आओ हम उतरे और वहां उनकी भाषा को गड़बड़ायें जिससे एक दूसरे की बोली न समझें । तब परमेश्वर ने उन्हें वहां से सारी पृथिवी पर छिन्न भिन्न किया और वे उसे नगर के बनाने से अलग रहे ॥ . त० पर्व ११ । ० १ । ४ । ५। ६ { ७ । ८ ।।। समीक्षक-जब सारी पृथिवी पर एक भाषा और बोली होगी उस समय सत्र मनुष्यों को परस्पर अत्यन्त अनन्द प्राप्त हुआ होगा परन्तु क्या किया जाय यह ई. , साइयों के ईष्येक ईश्वर ने सब की भाषा गडवड़ा के सबका सत्यानाश किया उ- ; : सने यह बड़ा अपराध किया ! क्या यह शैतान के काम से भी बुरा काम नहीं है ? , और इससे यह भी विदित होता है कि ईसाइयों का ईश्वर सुनाई पहाड़ आदि पर