पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५०९

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आदि से केबल लकड़ी से भी मृतक का जलाना उत्तम है क्योंकि एक विश्वाभर

  • भूमि में अथवा एक वेदी में लाखों क्रोडों मृतक जल सकते हैं, भूमि भी गाड़ने

के समान अधिक नहीं बिगड़ती और कबर के देखने से भ्रय भी होता है इससे गाड़ना आादि सर्वथा निषिद्ध है ॥ २७ ॥ २८-परमेश्वर मेरे स्वामी अविराम का ईश्वर धन्य जिसने मेरे स्वामी को अपनी दया और अपनी सच्चाई विना न छोड़ा, मार्ग में परमेश्वर ने मेरे स्वामी के भाइयों के घर की ओर मेरी अगुआई किई ॥ तौ० उप० पवे २४ । आ० २७ ! समीक्षक, -क्य वह अबिरझाम ी का ईश्वर था १ और जैसे आज कल त्रि- गारी वा अगवे लोग अगुआई शर्थात् आगे २ चलकर मार्ग दिखलाते हैं तथा ई इवर ने भी किया तो आजकल मार्ग क्यों नहीं दिखलाता १ और मनुष्यों से बातें क्यों नहीं करता है इसलिये ऐसी बातें ईवर वा ईश्वर के पुस्तक की कभी नहीं हो सकतीं किन्तु जडूली मनुष्य की हैं ॥ २८ ॥ २६- -३ अऐल के बेटों के नाम ये हैं-इसमझऐल का पहिलोठा नवीत और कीदार और अदुचिएल और सिवस्ट्रास और सिख माआ और दूस: और मr इदर और तै मा, इतू, नफीस और कि म: I तौ० उत्प० पर्व २५ । आ० १३/१४1१५ा। खमीक्षक- ऐह इसमअऐल आविराम से उसकी हाजिरः दाखी का हुआ। । था ।t २९ ॥ ३०-मैं तेरे पिता की रुचि के खमान स्वादित भोजन बनाऊंग और त अपने पिता के पास ले जाइयों जिससे वह खाय और अपने सरने से आगे सुझे आशुक्रिय देखे । और रिवक: ने अपने घर में से अपने जेठे बेटे एस का अच्छा पहिवा लियाऔर 3 बकरी के मेम् का चमड़ा उसके हाथों और गले की चिकनाई पर लपेटा तब य अ कूब अपने पिता से बोला कि मैं आपका पहिलौठा एसौ , आपके कहने के समान मैंने किया है उठ बैठिये और मेरे आर के मrस में ये खाइये जिते आप का प्राण मुझे आशीष दे ॥ बौ० उप० पर्व २७ आ० ९ से १० से १५ से १६। १३ ॥ समीक्षक-—देखिये ! ऐसे झूठ कपट से आशीर्वाद लेने के पश्चात् सिद्ध और गुम्वर बनते हैं क्या यद आश्चर्य की बात नहीं है? और ऐछे ईसाइयों के अगुआा हुए हैं पुन: इनके मत की गड़बड़ में दया न्यूनता हो ? ॥ ३० ॥ ३ १-और यअब विहान हो तडु उठा और उठ व पत्थर को जैसे उसने अपना पीछा किया था खम्भा खड़ा किया और पर तेल ढाता ॥ और ४ठ