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५१४ रियथाका

नहीं। और यह भी निश्चय हुआा कि ईसाइयों का ईश्वर एक पहाड़ी मनुष्य था, पहाड़ पर रहता था जब वह खुद स्याही, लेखनी, कागज़ नहीं बना जानता और न उस को प्राप्त था इसलिये पत्थर की पटियों पर लिख २ देता था और इन्हीं जरी इंछियों के के सामने ईश्वर भी बन बैठा था । ! ४७ -और बाला कि तू मेरा रूप नहीं देख सकता क्योंकि मुझे देख कोई मनुष्य न जियेगा ॥ और परमेश्वर ने कहा कि देख एक स्थान मेरे पास है और दू डच टीले पर कड़ा रई ॥ और यों होगा कि जब मेरा बिभव थल निकलेगा तो मैं तु पहाड़ के दर में रक्यूंगा और अवलों निक अपने हाथ से ढांपूंगा । और अपना हाथ उठा ढूंगा और तू मेरा पीछा देखेगा परन्तु मेरा रूप दिखाई न दूगा ॥ तो ० या प० ३३ । आ० २७ 1 २१ । २२ व २३ ! समीक्षक--श्व देखिये ! ईसाइयों का ईश्वर केवल मनुष्यवक् शररधारी और मूसा से कैसा प्रपन्य रच के आप स्वयं ईश्वर बन गया जो पीछा देखेगा रूप न - खेगा तो हाथ से उसको ढांप दिया भी न होगा जब खुदा ने अपने हाथ से सूसा का ढांप होगा तब क्या उसके हाथ का रूप उड़ने न देखा होगा ? ॥ ४७ ! । लय व्यवस्था का पुस्तक ता० । ४८-परमेश्वर ने प्रेस को बुलाया और मण्डली के तंबू में वे यहू वचन आर उसे का कि 1 इरएल के सन्तान में से वो और उन्हें कई यदि कोई तुम म स परमेश्वर के लिये भेंट जावे तो तुम ढोर में से अर्थात् गाय बैल और भेड़ बकरी भ से अपनी फ्रंट का तौ० लै० व्यवस्था पुस्तक १ ।२ ॥ ॥ की प० १ । आ० समीक-विचारिये !ईस्राइयों परमेश्वर गाय बैल आदि भेट लेने -अब का की वाला जो कि अपने लिये बलिदान करने के लिये उपदेश करता है वह बेल आदि पशुओं के लोहू प्यासा है वा नहीं ? इसीसे वह आहिंसक मtस का, भूख और ईश्वर कोटि में गिना कभी नहीं जा सकता किन्तु मखIारी प्रपध्ची के सश हैं 1 ४८ ॥ ४३-और वैल को -वइ उद्य परमेश्वर के आगे बलि करे और हारूम के अं याज्ञक लोहू को निकट लावें और लोहे को यज्ञ वेदी के चारों ओर जो मण्डड। के द्वार पर है छिठ 1 तो वह इस भेंट के बलिन की खाल नि कrछे आर टुक ना २ करे : ।र इ।हन के बेटे याज यज्ञवदी पर आग र व थे और

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