पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५६०

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५५ e आयका: I ५ १०-—-आदम को सारे नाम सिखाये फिर फरिश्तों के सामने करके कहा जो तुम सच्चे हो मुझे उनके नाम बताओो ॥ कहा हे आदम ! उनको उनके नाम बता दे तब उसने वता दिये तो खुदा ने रिश्तों से कहा कि क्या मैंने तुमसे नहीं कहा था कि निश्चय में पृथिवी और आसमान की छिपी वस्तुओं को और प्रकट छिपे कों को जानता हूं ॥ मं ० १। पि० १ । स - २ । आ० २६ । ३१ r समीक्षक--भला ऐसे फरिश्तों को धोखा देकर अपनी बड़ाई करना खुदा का काम हो सकता है ? यह तो एक दंभ की बात है, इसको कोई विद्वान् नहीं मान सकता और न ऐसा अभिमान करता । क्या ऐसी बातों से ही खुद अपनी सिद्धाई जसाना चाहता है ?, ां जंगली लोगों में कोई कैसा ही पाखण्ड चला लेवे चल सकदा है, सभ्यजनों में नहीं : १० 13 ११--जब हमने फ़रिश्तों से कहा कि बाबा आदम को दण्डवत् करो देखा सभों ने दण्डवत्त् किया परन्तु शैतान ने न माना और अभिमान किया क्योंकि वो भी एक काफिर था ॥ से ० १ । खि० १ । स ० २ । आ० ३२ ! समीक्षक—इससे खुदा सर्वेक्षा नहीं अर्थात् भूत, भविष्यत्र वर्द्धमान की पूरी बातें नहीं जानता जो जानता हो तो शैतान को पैदा ही क्यों किया और खुदा में कुछ तेज भी नहीं है क्योंकि शैतानने खुदा का हुक्म ही न माना और खुद उसका कुछ भी न कर सका 1 और देखिये एक शैतान काफ़िर ने खुदा का भी छक्का दिया तो मुसलमानों के कथनानुसार भिन्न जहां क्रोतों काफ़र है वहां मुसलमानों के खंदा और मुसलमानों की क्या चल सकती है कभी २ खुदा भी किसी का रोग बढ़ा देता किसी को गुमराह कर देता है, खुदा ने ये बातें शैतान से सीखी होंगी और शैतान ने खुदा थे, क्योंकि विना खुदा के शैतान का उस्ताद और कोई नहीं होसकता ॥११। १२-सने कहा कि जो आदम तू और तेरी बहिश्त में रहकर जोरू आनन्द में जहां चाहो खा परन्तु मत समीप जाओो ठल वृक्ष के कि पापी हो जाने से शैवान ने उनको डिगया कि और उनको बहिश्त के आनन्द से खोदिया तब इसमें कहा कि इसे तुम्हारे में कोई परस्पर शत्रु है तुम्हारा ठिकाना पृथिवी है और एक समय तक लाभ है आद्म अपने मालिक की कुछ बातें सीख कर पृथिवी पर आ गया । में ० १ । खि० १ । सू॰ २ । आ० ३३ । ३४ 1 ३५ है॥ पसीना अब देखिये प्राकी मल्मझता अभी दो सत्र में रहने का आशीर्वाद दिया।