पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५६४

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५ ६९ समीक्षक--जब कुरान में साक्षी है कि सूम मां को किताब दी तो उसका मानन मुठल मानों को आवश्यक हुआ और जो २ उस पुस्तक में दोष हैं वे भी मुसलमानों के मत में आ गिरे और मौजिज' अर्थात् वीशक्ति की बातें सब अन्यथा हैं भोल | 46 भाले मनुष्यों को बहकाने के लिये भू ठ मूठ चलाल हैं क्योंकि माष्टम और विद्या ' के विरुद्ध सब बातें ऋी ही होती हैं जो उस समय 'मोजिर थे इस समय क्यों ता नहीं है जो इस समय नहीं तो उस समय भी न थे इखमें कुछ भी बन्द ॥ १६ ॥ नहीं २०--और इससे पाइल काफिरों पर विजय चाहते थे जो कुछ पहिचाना था जब उनके पास व आया मट काफ़िर होगए काफिरों पर लानत है अल्ता की ॥ से ० १ से खि ० १ । स० २ । ० ८२ ॥ समीक्ष-क्या जैसे तुम अन्य सतबा को काफिर कहते हो वैसे वे तुमका काफिर नहीं कहते हैं ? और उनके मत के ईश्वर की ओर से धिक्कार देते हैं फिर कहा कोन और कौन ? सा झूठा ो विचार करके देखते हैं तो सत्र मतवालों में झूठ पाया। जाता है और जो सच है तो सब में ए ता, ये व व ल ड़यां व्रित की हैं ।॥ २० ॥ २१आनन्द का सन्देशा ईमानदारों को अज्ञाहू, रिस्तों पैगम्बरों जिवरकुछ - और मीकाइछ का जो शत्रु अहं भी ऐसे काफिरों का शत्रु है ५ में ० १ 1 °ि १ 1 ० से ५ अ० १० 11 समक्ष -—जन मुसलमान कहते हैं कि ख म ताशरीक है फिर यह फौज की। फोज शरीक कहां से करदी ? क्या जो औरों का शत्रु बहू खुदा का भी शत्रु दें यदि ऐसा है वो ठीक नहीं क्योंकि ईश्वर विी का शत्र नहीं हो सकता ॥ २१ ॥ २२-—और क ो कि शव मा मांगते हैं हम दमा करेंगे तुम्हारे पाप अर आ iथे भज्ञाई करने नाती के 1 न ० १। सि ० १। स० २ । आ० ५४ । समीक्षक-—भला यह खुदा का उपदेश सबको पापी बनाने वाला है वा ना क्योंकि जब पप क्षमा होने का आश्रय मनुष्यों को मिलता है तब पाई कराई की नई दरत इमलि ये ऐसा कहनेवाला व और यह खुदा का व नाया हूं । ' पर 6 न दf द सका बंद। िवह न्याय ारी है अन्याय कभी नहीं करता और इf 1 पIप को घेरने में न्याय का हो t सकता है ॥ २२ ! । २३--->ा५ सू ा ने अपनी म के लिये पानी महगा हमने कहा कि अपना