पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५७१

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) • तुझेशक्षुल्ला हk li ५६९ समय में उनके सीप मत जाओ जबतक कि वे पवित्र न हों जब नहा लेवें उ - के पास उस स्थान से जाओ खुदा ने आज्ञा दी ॥ तुम्हारी बीवियां तम्हारे लिये खेतिया वठ जिस चाहो अपने खेत में । तुमको अल्लाह लथ ६ ( वे. जआओं तरफू कार, व्यर्थ ) शपथ में नहीं पकड़ता ॥ म० १ ' सि० २ सू० २ आा० २०५ । २० ६ । २२८ ॥ समीक्षक-जो यह रअस्खला का स्पर्श सेंग न करना लिखा है वह अच्छी बात है परन्तु जो यह वियों को खेती के तुल्य लिखा और जैसा जिस तरह से चाह जाओो यह मनुष्यों को विषय करने का कारण है । जो खुश बेकारी शपथ पर नहीं पकड़ता तो सब झूठ बोलेंगे शपथ तोड़ेंगे इससे खुदा झूठ का प्रब होगा : ३८ ! ३९--वो कोन मनुष्य है जो अल्लाह को उधार देखे अच्छा बल अल्लाह ढूिंढ़- गुण करे व उसके वास्ते ॥ में ० १ I से ० २ । सू° २ । आप० २२७ ॥ । - : समीक्षक-भला खुदा को कर्ज उधार * लेने से क्या प्रयोजन १ जिसने सारे से कार को बनाया बहू सय से कर्ज लेता है १ कदापि नहीं । ऐसा तो बिना स मके कहा जा सकता है ।क्या उखका ख़जाना खाली होगया था ? क्या बहू तू डी पुड़ियां व्यापारदि में मग्न होने से टोटे में फंस गया था जो उधार लेने लगा ? और एक का दो २ देना स्वीकार करता है क्या यह साहूकारों का काम है ? किन्तु ऐया काम तो दिवालियों का खर्ष अधिक झरनेवाले और आय न्यून होनेवालों को करना पड़ता है ईश्वर को नहीं ॥ ३९ ॥ ४०--उनमें से कोई ईमान न लाया और कोई काफिर हुआ जो अल्ला चाहा न छड़ते जो चाहता है अल्लाह्य करता है ।। मै० १ । खि० ३ । सु० २ । आ० २३५ ॥ - e खमीक्षक-क्या जितनी टाई होती हैं वह ईश्वर ही की इच्छा से १ दां व k आयत के भय से सफरहुस ' में लिखा है i एक मनुष्य मुद्द म्मद साहब के पास आया डव ने कहा कि ए रसूललन'द खुद को क्यों मांगता है ? उन्होंने उत्तर दिया कि तुम को बहित में ले जाने के के लिये उसने कहा शो अप जमानत ल तो में दू मुहम्मद साहेब ने उस कर्मी जमानत ले ली दा का भरोसा न हुआ उर्क दूत का ह मप्र ॥