पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५७९

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सुश्मुला है। ५७७ "A SA ' प्रमाण १ बजी वाइ ! जो बुरे लोगों के धोखे में आता और अन्य को धोखा देता है ऐसा खुदा झा से अलग रहे किन्तु जो धोखेबाज हैं उनसे जाकर सेज करे और ) व उस सँ मत करं क्यों के : ( यादृशी शीतला देवी तादृशः खरवाहनः ) जैसे को तैसा मिले तभी निइ होता है जिसका खुद धोखेबाज है उसके उपासक लोग धोखेबाज़ क्यों न हों ? क्या दुष्ट मुसलमान हो उसके मित्रता और अन्य श्रेष्ठ मुसलमान भिन्न से शत्रुता करना किसी को उचित हो सकता है ।६१। ६२-एं तांगो निश्रा मुंा पास इत्य के स्वाध खुदा की ओर से पैगम्बर या बख तुम उन पर मन लाi I अल्ज६ साथुर अकछा ६ से ९ १ t ६ I सू° ४ । आप० १६७ ॥ १६८ ॥ - समीक्षक- क्या जब पैगम्बर पर, मान लाना लिखा तो इंसान में पंगुम्बर खुदा का शरीक अर्थात् साझी हुआा वा नहीं है जब अल्लाद एकदेशी है व्यापक नहीं तभी तो उसके पास से पैगम्बर आते जाते हैं तो वह ईश्वर भी नहीं हो सकता । कहीं सर्वदेश लिखते हैं कहीं एकदेशी इखचे विदित होता है कि कुरान एक का बनाया नहीं किन्तु बहुतों में बनाया हूं : ६२ ॥ ६३ था-तुम पर हराम किया गया मुद्दोर लहू, सूअर का मांस, जिस पर अल्जाइ के विना कुछ और पढ़ा जावे, गला घोट, ताठा मारे, ऊपर से गिर पड़े ' सींग मारे और दद का खाया हुआr 17 म० २ I खि० ६। स० ५ । आ० ३ ॥ समीक्षक-क्या इतने ही पदार्थ राम हैं१ अन्य बहुतसे पशु तथा तिरंक् जीव कीड़ो आदि मुखत मानों को हलाल होंगे : इस वास्ते यहू मनुष्यों की कल्पना है ईश्वर की नहीं इसे इसका प्रमाण भी नहीं ॥ ६३ ॥ ६४ और अझाइ को अच्छा उधार दो अवश्य मैं तुम्हारी बुराई दूर करेगा । और तुम्हें बाइिश्तों में भेजूगा । म० २,। सेि ० ६। ८० ५ । आ० १० !॥ समीक्षक--वाइजी 1 मुसलमानों के खुदा के घर में कुछ भी धन विशेष नहीं रहा होगा जो विशेष होता तो उधार क्यों मागता है और उनको क्यों ब कrता कि तुम्हारी बुराई हुड्डा के तुमको स्वर्ग में मेज़ंगा १ यहां विदित होखा है कि खुद के . नाम से मुझम्मद साहब न अपना मतलब चाधा ॥ ६५ ॥