पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५८२

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सरम, ! ५ ७१ मत फिरो पृथिवी पर झगड़ा करते ॥ मे० २ 1tसे ० ८ । यू॰ ७1 म०७३। । समीक्षक-यह बात तो अच्छी है परन्तु इससे विपरीत दूसरे स्थानों में जिहाद ऊरना और काफिरों को मारना भी लिखा है अब को पूर्वापर विरुद्ध नहीं है १ इच वे यह विदित होता है कि जब सुमद् इब निर्भज हुए होंगे तब उन्होंने यइ ऊ- पा।य रचा होगा और सबल हुए होंगे तब झगड़ मचाया होगा इसी से ये बातें प रस्पर विरुद्ध होने से दोनों सत्य नहीं हैं 7 ७१ ॥ ७२बस एक ही बार अपना अघा डाल दिया और वह अजगर था प्रत्यक्ष ॥ में ० २ : हैि ० ९ । सू॰ ७ । आ० १०५ !! समीक्षक-अब इस के लिखने से विदित होता है कि ऐसी झूठी बातों को खुदा और मुहम्मद साहेब भी मानते थे जो ऐसा है तो ये दोनों विद्वान् नहीं ये क्योंकि जैसे आंख से देखने को और कान से सुनने को अन्यथा कोई नहीं कर सकता इसीसे ये इन्द्रजस की बातें हैं ।॥ ७२ ? ७३-ठ हमने उस पर सेइ का तूफ़ान भेजा टीढी, चि डी और ठंडक और छोटू ॥ बख उनखे ने बदला लिया और उनको डोदिया दरियाव में 1 र इने वनी इसराई को दरियाव से पार उतार दिया 1 निश्चय वइ दीन झूठा ६ | जिसमें हैं और उनका कार्य भी तेठा है | मं० २ है कि ० द : सू७ ७ । आ• १ ३२२ 1 १३३ 1 १ ३७ } १३८ ॥ . एों के समीक-—अब देखिये जैसा कोई quखंडी किसी को डरपqवे कि हम टु पर को मारने के लिये भेजेंगे ऐपी यह भी बात है भला जो ऐसा पक्षपाती कि एक T ति को ज्ञा दे और दूसरे को पर करे वइ अब व ख द व क्यों नई १ जो दूर ! मेंd जिम इनtए । जो कि मनुष्य ही ठा बतलवे और अपने को खा है से परे ा दूसरा से त कम हो कता है ? है कि ीि मत में समय मनुष्य बुरे और भी नहीं हो त यद इस ढिगरी करना महू का मत है क्या तैरत यु 1 जून से कि उनझ था rr गया ? का कोई अन्य मद्द वह इन या j KI a ा के६ा ‘र ना दद 'न्य सइ था ा कहना था की है जिसके i d 46 नम ११ न ि15 % ३ ! है। थे । ( '११ ई से ६:41 - 2 कrश दिया इवह ।वि के हैं ?