पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५८५

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चतुदेशमुखा: । ५८३ - - । वास्ते उनके जो कुछ तुम कर सको (॥ म० २ चि० ९ । सू० ८ आ०ि ५० । ५४ } ५९ I। समीक्षक-क्यों जी आजकल रूस ने रूम भादि और इनलैण्ड ने मिश्र की दुर्दशा कर डाली रिश्ते कहां सो गये है और अपने सेवकों के शत्रुओं को खुद पूर्व मारता हुबरता था यह या सची हो तो आजकल भी ऐसा करेजिससे ऐसा नहीं होता इसलिये यह बात मानने योग्य नहीं । अब देखिये यह कैसी बुरी आशा है कि जो कुछ तुम कर सको वह मिन्नमतवालों के लिये दु:खदायक कर्म करों ऐसी आज्ञा विद्वान् और धार्मिक दयालु की नहीं हो सकती, फिर लिखते हैं कि खुदा दयालु और न्यायकारी है ऐसी बातों से मुसलमानों के खुदा से न्याय और दादि पशुण दूर बसते हैं : ८० ॥ ८१-ए नबी किफायत है तु को अल्लाह और उनको जिन्होंने मुसलमानों खें तेरा पक्ष किया ॥ ए नबी रग्षत अत् चाह चस्का दे मुसलमानों को उपर लड़ाई के, जो हमें तुममें से २० अदम सन्ताष करने वाल त पराजय कर दा सों का 11 बा स्त्राओो उस वस्तु से कि लुटा है तुमने इलाज पवित्र और डरो अल्लाद से वह्य क्षमा करनेवाला दय। है । । में ० २ 1 सि० १० 1 सू • ८। आ० ६३। ६४ 1 ६८ ॥ समीक्षक-भला यश कौनसी न्याय, विद्वता और धर्म की बात है कि जो अपना पक्ष करे मौर चाहे अन्याय भी करे इसी का पक्ष और लाभ पहुंचावे १ और जो प्रजा में शान्तिभंग करके लड़ाई करे करावे और लूट मार के पदार्थों को लाल बत लवे और फिर उसी का नाम क्षमावा दयाछ लिखें यद बात खुदा की तो क्या किन्तु किसी भले आदमी की भी नहीं हो सकती ऐसी २ बातों से कुरान ईश्वर- याक्य कभी नहीं हो सकता ॥ ८१ ॥ ८९-सा रहेग वाच उस अल्लाद खाष ६ उस पुण्य बडg ॥ ऐ लोगो जो ईमाम लाये हो मत पकड़ो बाप अपने को और भाइयों अपने को मिश्र जो दोस्त रक्वें कु को अपर ईमान के ॥ फिर उतारी अल्लाहू ने वसल्ली अपनी अपर रसूल अपने के और ऊपर मुसलमानों के और तारे लश्कर नहीं देख तुमने हवन- की ओर जाब केि या उन लोगों का आर या अज्ञा कiर कi l iर फिर आ वेगा अरलाइ पीछे उसके ऊपर ॥ और लड़ाई को उन लोगों से जो ईमान नहीं लाते ॥ सं० २ 1 सि० १० । स्० ९ । अ० २१ । २२ । २५ । २६ । २८ ॥ !