पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५८७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

चतुदचझुलसः ? ५८५ आhe w an I 4 M

। उन्हांन साथ धर्म अपन क तथा जाद, अपनों आर इन्हीं लोगों के लिय भलाई त है ॥ और मोइर रक्खी शाल्लाह ने ऊपर दिलों उनके के बस में नहीं जानते f स० २ । जि० १० । सू० ९ । आ० ८९ । ६२ ॥ समीक्षक -अप देखिये मतलबसिंधु की बात कि वे ही आते हैं जो मुहम्मद साहब के साथ ईमान लाये और जो नहीं लाये वे बुरे हैं ! क्या यk बात पक्षपात और आ- विद्या से भरी हुई नहीं है ? जब खुदा ने मोर ही लगादी तो उनका आपराष पाप करने में कोई भी नहीं किन्तु खुदा ो क्ला अपराध है क्योंकि उन विचारों को भलाई खे दिलों पर मोहर लगाकर रोक दिये यह कितना बड़ा अन्याय है !!" ॥ ८५ ॥ - . हैं ८६-ले माल उनके ये आँत कि पवित्र करे तू उनको अर्थात् बारी और शुद्ध कर तू उनको साथ उसके अथात् गुप्त में ॥ मिश्वथ पल्लाह न अल ली है मुगल मन से जानें उन ली और साल उनके बदले के वास्ते उनके बहित है लड़ेंगे बीच मार्ग अल्लाह के बल मारेंगे और मर जायेंगे } में ० २ ।धि ० ११ । से ० से । थे । आ० १०२ । ११० ॥ समीक्षक-वाइजी वाह !मुहम्मद साहेश अपने तो गोलिये गुयाइयों की बराबरी करती क्योंकि उनका माल ल ना और उनको पवित्र करना यही बात को गु वाइयों की है । वह खुइजी ! आपने अच्छी सौदागरी लगाई ज़ि मु पल मानों के हाथ से अन्य गरीबों के प्राण लना ीं लाभ समझ अगर इन अनाथ को सरवर उन निर्दयी मनुष्य को वर्ग देने से दया और न्याय व मुमल मनना का खुद ाथ धो बैठा और अपनी खुदाई में बट्टा लग के बुद्धिमान धार्मिकों में वृणित होगया ॥ ८६ ॥ ८७-५ लोगों मान लयं ा लड्डा उन लागों स के पास सुन्दर हैं काफिरों से और चाहिये कि पार्ट बीच तुम्हारे दृढ़ता ॥ क्या नहीं देखते यहूं कि वे बलों में डाले जाते हैं हरवर्ष के एक वार वा दो वार फिर वे नहीं तोवा. करते और न वे शिक्षा पकड़ते हैं ॥ सं : २ । जि० ११ । सू० ९ । आ० १२२ । १२५ ।॥ समीक्षक-देखिये ये भी एक विश्वासघत की बातें खुद मुसलमानों को सिखलाता है कि चाहे पड़ोसी हों वा किसी के नौकर हों जब अवखर पायें तभी लड़ाई वा घाव कर ऐसी बातें मुसलमानों से बहुत बन गई हैं इ सत्र कुरान क ठे ख ख़ अब तो नमन खम कुर/नात बुराइयों को छोड़ दें तो बहुत अच्छा है !। ८७ t ।