पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५९४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

५९१ दरयार्टीप्रकाशः ? ) सुशु सलमान के बहिश्त में अधिक कुछ भी नहीं है सिवाय अन्याय क, वह यइ है कि कम उनके अन्तसाले और फल उनके आनन्स आर जो मठ निस्य खाद्य ता थोड़े दिन म विष के समान प्रतोत होता है जब सदा व सुख भगा तो उनका सुख ही दु:खरूष हजायगा इसलिये संकर्ष पर्यन्त झांक सुख भोग के पुनर्जन्म पाना ही सत्य सिद्धान्त है t १० ४ ? १०५-और यह बस्तियां हैं कि सार हमने उनको जब अन्याय कि या उन्होंने और हम ने उनके मारने की प्रतिज्ञा स्थापन की(T में ०४ 1 कि ० १५ 7 स ० १८ । आ० ५७ ॥ समीक्षक---भला सब बस्ती अर पापी भी हो सकती है ?और पीछे से प्रतिज्ञा करने से ईश्वर पर्देश नहीं रहा क्योंकि जब उनका अन्याय देखा तो प्रतिज्ञा की पहिले नहीं जानता था इससे दयहीन भी ठहr 11 १ ०५ । १०६--और बहू जो ल ड्रा व थे मा बाप इस्र के ईम वाले व डरे में य३ कि पक्ष K उ न तो घर कशी में और कु में ॥ यiत कि पटु चा जगद डुने तैकgr सूर्य को पाया डव को ढूं तr था बीच चश्मे कीचड़ । उनने ऐजुल्करनैन निश्चय याकू म’ में फिजाद के हवाले हैं बच पूधेिची के ॥ म० ५ 1 सि ० १६ ॥ ० १८ । आ० ७८ 1 ८४ से ५२ है। समीक्ष5-—भला यह खुदा की कितनी वे म मझ है ! का कि से से डरत लड f के मा बाप कहीं मेरे समरों से वह का क र डटे न कर दिये जावें, वड़ भी ईश्वर की बात नहीं हो सकती 1 अ व अगेि की छविद्या की बात देखि ये कि इस किताब का बनाने वाता सूर्य को ए औल में रात्रि को कृ ा जानता है फिर प्रात:काल निकला है भला सूर्य तो थिवी से बहुत बड़ा है वह नदी व झ'ल बा समुद्र में केप टू व स गा १ इ से यह वि दत हू अा कि कुरान के बनानेवाले को भूगोल ख गोढ़ की विद्या नहीं थी जो होती तो एक विविवड बाठ द लिख । १ और इस पुस्तक के मानने वालों को भी विद्या नई है जो होती तो ऐसी i । बातों से युक्त पु एनके को क् मानते ? अपष दनियं ा का छन्याय आप ही . i4 क5 ई में नीदरलए राजT न्यायधीश है और य'ी सहजत को पथिवी में फाद भी : है व६ दरता की बात के विरुद्ध द डे ऐसी पुख्ता को जला ' Mस २५ it tत ई विस् नt ॥ १ • ६ ॥ । --भर 4'द के २ घाथ किताब के मयं म को ज व जा पट्टी छो में अपने स्त